Edited By Ajay kumar,Updated: 13 Mar, 2019 06:47 PM
17वीं लोकसभा चुनाव का चुनावी शंखनाद हो चुका है। सभी पार्टियां विपक्षी पार्टियों के खिलाफ रणनीति बनाने में जुट गई हैं। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए सपा-बसपा के बीच बैठकों का दौर जारी है।
लखनऊ: 17वीं लोकसभा चुनाव का चुनावी शंखनाद हो चुका है। सभी पार्टियां विपक्षी पार्टियों के खिलाफ रणनीति बनाने में जुट गई हैं। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए सपा-बसपा के बीच बैठकों का दौर जारी है। इस बीच बुधवार को देर शाम सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 3 मॉल एवेन्यू आवास पर बसपा सुप्रीमो मायावती से मिलने पहुंचे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बैठक में दोनों दलों के सीटों और प्रत्याशियों को लेकर अंतिम मुहर लगेगी।
बता दें कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के संगठन से जुड़े पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। कयास लगाए जा रहे इस बैठक में मायावती लोकसभा प्रत्याशियों का ऐलान कर सकती हैं। इससे पहले मंगलवार को मायावती ने लोकसभा चुनाव की तैयारी और उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए सभी राज्यों के बसपा प्रमुखों और वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने कहा कि सपा-बसपा ने उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में भी आपसी समझ और सूझबूझ से गठबंधन किया है। बसपा और सपा का गठबंधन पूरी नेकनीयती से काम कर रहा है और तीनों राज्यों में इसे बेहतर गठबंधन के तौर पर माना जा रहा है।
मायावती ने पार्टीजनों को संबोधित करते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के अधूरे कारवां को मंजिल तक पहुंचाने के लिए पार्टी से जुड़ सभी लोगों को जमीनी स्तर पर काम करना होगा। उन्होंने सभी को निर्देश दिया कि वे थोड़े समय के लाभ के लिए ऐसा कोई कदम न उठाएं जो पार्टी के हित में न हो।
बता दें कि, बसपा सुप्रीमो ने पिछले दिनों संगठन का पुनर्गठन करने के बाद मंडल व जिले स्तर पर बैठकों का निर्देश दिया था। जिला स्तर पर सपा-बसपा की साझा बैठकें जारी हैं। ये बैठकें 18 मार्च तक प्रस्तावित हैं।