Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Oct, 2017 06:08 PM
बसपा का हाथी सूबे में लगातार 2012, 2014 और 2017 में हारने के बाद दम नहीं भर....
आगरा: बसपा का हाथी सूबे में लगातार 2012, 2014 और 2017 में हारने के बाद दम नहीं भर पा रहा है जिसका बड़ा कारण हाथी के पास फंड का न होना है और कोढ़ की खाज की तर्ज पर भीड़ का भी न जुटना है। यही वजह है कि निकाय चुनावों के लिए भी नीला खेमा उदासीन है।
राजनीतिक विशलेषक इसे अलग नजरिए से देख रहे हैं। वे कहते हैं कि यह हाथी का चरैवैति चरैवैति के आधार पर पतन के संकेत हैं क्योंकि बसपा सुप्रीमो ने अब अपनी रैलियां भी बंद कर दी हैं। हालांकि राजनीतिक विशलेषक इसे धन की कमी के साथ भीड़ का न जुटना भी मान रहे हैं क्योंकि उनके मुताबिक बसपा की पहली ही रैली फ्लाप शो साबित हुई और उम्मीद के मुताबिक रैली में भीड़ न जुट पाई व हाथी जवाब दे गया।
यही वजह है कि अब पार्टी सुप्रीमो ने आगरा की रैली को भी आगरा की बजाय अलीगढ़ शिफ्ट कर दिया है जिसमें पार्टी एल.आई.यू. का मानना है कि अगर आगरा में विधानसभा चुनाव की तरह भीड़ न जुटी तो इससे दलितों में नकारात्मक संदेश जाएगा क्योंकि आगरा को दलितों की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। यही नहीं आगरा में कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर 2 मंडलों को मिलाकर बामुश्किल 1000 की भीड़ जुट पाई, यही वजह है कि पार्टी का यह परिणाम खतरे के निशान यानी डैंजर जोन को पार कर गया।
राजनीति के जानकारों का इस मामले में साफ कहना है कि बसपा का मुख्य आधार धन से जुड़ता है और धन नोटबंदी और जी.एस.टी. के बाद बाजार में है ही नहीं है व भाजपा तक को फंड नहीं मिल रहा है। ऐसे में 3 चुनाव हारने के बाद विशालकाय हाथी पर डूबती हुई नाव की तर्ज पर कौन विश्वास जताएगा और कौन दाव लगाएगा, यही वजह है कि अब बसपा पदाधिकारियों ने भी धन जुटाने को लेकर हैंड्जअप कर दिए हैं व इसी कारण बसपा का हाथी उठ नहीं पा रहा है।
भीमसेना और बामसेफ ने तोड़ी कमर
जानकारों के मुताबिक भीम सेना और बामसेफ ने बसपा के हाथी की कमर तोड़ डाली है क्योंकि बामसेफ की कमान बामन मेश्राम ने ले रखी है और बामसेफ का मन बसपा को 2019 में सपोर्ट करना नहीं बल्कि अपने ही संगठन को मजबूत करना है क्योंकि सरकार में बसपा ने उलटा बामसेफ को हाईजैक कर लिया था, यही वजह है कि अब बामसेफ भी मौके की नजाकत को भांप बसपा से दूरी बनाए हुुए है। उच्च स्तर पर भी बामसेफ के तार बसपा से नहीं जुड़ पा रहे हैं। उधर, भीमसेना और फूल सिंह बरैया भी बसपा की नाक में दम किए हुए हैं। कुल मिलाकर ‘यक्ष प्रश्न’ यह है कि बसपा का हाथी किसी साथी की तलाश में है ? बहराल अब देखने वाली बात यह है कि आने वाले चुनावों में बसपा के हाथी का भविष्य क्या होगा।