उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था को खत्म करने का दिया आदेश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 02:18 PM

order to eliminate revenue police  in uttarakhand

प्रदेश में 150 वर्षों  से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था अब इतिहास बन जाएगी। हाईकोर्ट नैनीताल ने राजस्व पुलिस को तफ्तीश व कार्यवाही  में असफल बताते हुए पूरे प्रदेश को सिविल पुलिस व्यवस्था के तहत लाने का आदेश दिया है।

देहरादून/ब्यूरो। प्रदेश में 150 वर्षों  से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था अब इतिहास बन जाएगी। हाईकोर्ट नैनीताल ने राजस्व पुलिस को तफ्तीश व कार्यवाही  में असफल बताते हुए पूरे प्रदेश को सिविल पुलिस व्यवस्था के तहत लाने का आदेश दिया है।उत्तराखंड में 1861 से राजस्व पुलिस व्यवस्था चल रही है। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में पुलिस खर्च का बजट कम रखने के उद्देश्य से यह व्यवस्था की थी।इसके तहत पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार जैसे राजस्व अधिकारी ही पुलिस, दरोगा व इंस्पेक्टर का काम काज देखते हैं।

 

आईपीसी के आरोपियों की गिरफ्तारी व उन्हें जेल भेजने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती है। आज की तारीख में भी प्रदेश के साठ फीसदी इलाके में यही व्यवस्था लागू है। लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म होने वाली है। शुक्रवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने टिहरी जनपद के दहेज हत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए राजस्व पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े  किये और राज्य सरकार को छह महीने के अंदर इस व्यवस्था को खत्म करने के निर्देश दिये। जस्टिस राजीव शर्मा  व आलोक सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है।

 

बताते चलें कि वर्ष 2013 में केदारनाथ व प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र  में आई आपदा के दौरान भी राजस्व पुलिस की कार्यशैली व क्षमता पर सवाल खड़े हुए थे और सरकार ने क्रमिक रूप से इस व्यवस्था को खत्म करने और उसके स्थान पर सिविल पुलिस का दायरा बढाने की नीति बनाई थी। त्यूनी थाने और कई पुलिस चौकियों को इसी उद्देश्य से गठित किया गया था। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने भी राजस्व पुलिस को खत्म करने की सलाह सरकार को दी थी।

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