बिहार के निवासियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ नहीं: उच्च न्यायालय

Edited By Ajay kumar,Updated: 25 Feb, 2020 11:05 AM

residents of bihar have no benefit of reservation in jharkhand hc

झारखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि बिहार के स्थायी निवासियों को झारखंड राज्य की नौकरी में किसी भी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। उच्च न्यायालय की 3 सदस्यीय पीठ ने बहुमत से सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाया। |

रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि बिहार के स्थायी निवासियों को राज्य की नौकरी में किसी भी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। उच्च न्यायालय की 3 सदस्यीय पीठ ने बहुमत से सोमवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाया। 

बिहार के निवासियों को राज्य की सेवा में आरक्षण का मिलना चाहिए लाभ
पीठ के 2 न्यायाधीशों ने एक मत से यह फैसला सुनाया है। वहीं पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एचसी मिश्र ने इससे असहमति जताई। उन्होंने कहा कि राज्य बनने से पहले से बिहार से यहां आकर रह रहे लोगों को भी राज्य की सेवा में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। इस पीठ में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति बीबी मंगलमूर्ति भी थे। सबसे पहले, पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एचसी मिश्र ने अपना आदेश पढ़कर सुनाया। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि प्रार्थी एकीकृत बिहार के समय से ही झारखंड क्षेत्र में रह रहा है, इसलिए उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

एक राज्य का निवासी दूसरे राज्य में आरक्षण का नहीं होगा हकदार
न्यायधीश ने यह कहते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और प्रार्थियों को नौकरी में बहाल करने का आदेश दिया। इसके बाद न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने अपना आदेश पढ़ते हुए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बीर सिंह के मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया और कहा कि एक राज्य का निवासी दूसरे राज्य में आरक्षण का हकदार नहीं होगा। यही आदेश बीबी मंगलमूर्ति का भी था। इसके बाद दोनों जजों ने प्रार्थियों की अपील को खारिज करते हुए सरकार के पक्ष को सही माना।

झारखंड में बिहार निवासियों को SC-ST के रूप में मिलना चाहिए आरक्षण
इससे पूर्व सुनवाई के दौरान पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने पीठ को बताया था कि एकीकृत बिहार के समय से अथवा 15 नवंबर 2000 से राज्य में रहने के बाद भी वैसे लोग आरक्षण के हकदार नहीं होंगे जिनका ओरिजिन (मूल) झारखंड नहीं होगा। आरक्षण का लाभ सिर्फ उन्हें ही मिलेगा जो झारखंड के मूल निवासी होंगे। इस मामले में प्रार्थी की ओर से कहा गया था कि एकीकृत बिहार वर्तमान बिहार और वर्तमान झारखंड में उनकी जाति एससी-एसटी व ओबीसी के रूप में शामिल है इसलिए वर्तमान झारखंड में उन्हें एससी-एसटी व ओबीसी के रूप में आरक्षण मिलना चाहिए। उनका कहना था कि पिछले कई सालों से वे झारखंड क्षेत्र में रह रहे हैं और सिर्फ इसलिए उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वो वर्तमान में बिहार राज्य के स्थाई निवासी हैं।

संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के अनुसार आरक्षण का मिलना चाहिए लाभ
कुमार ने न्यायालय को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में जो अधिकार मिला हुआ है उसके अनुसार उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। इस मामले में वादी पंकज यादव की झारखंड में सिपाही के रूप में बहाली हुई थी। इस दौरान बिहार के स्थाई निवासियों ने आरक्षण का लाभ लिया था। बाद में मामला उजागर होने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद पंकज कुमार ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। एकलपीठ ने सरकार के फैसले खारिज करते हुए उन्हें बहाल करने का निर्देश दिया। इसके बाद सरकार ने खंडपीठ में अपील की।

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