Edited By Jagdev Singh,Updated: 21 Jul, 2019 02:23 PM
झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली मुन्नावती का जीवन काफी प्रेरणादायी है। उन्होंने 1998 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इस दौरान वर्ष 2005 तक पढ़ाई-लिखाई से पूरी तरह दूर रहीं। मुन्नावती ने 2005 में ही ईंट-भट्ठा पर काम करना शुरू किया था। मजदूरी...
रांची: झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली मुन्नावती का जीवन काफी प्रेरणादायी है। उन्होंने 1998 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। इस दौरान वर्ष 2005 तक पढ़ाई-लिखाई से पूरी तरह दूर रहीं। मुन्नावती ने 2005 में ही ईंट-भट्ठा पर काम करना शुरू किया था। मजदूरी भी की फिर इच्छा जागृत हुई की पढ़ाई शुरू की जाए।
मुन्नावती ने बेड़ो के करमचंद भगत कॉलेज में दाखिला लिया। संस्कृत की पढ़ाई शुरू की और अब वर्ष 2019 में यूनिवर्सिटी की टॉपर बनी हैं। एमए में उन्हें गोल्ड मेडल मिला है। इसके साथ ही सरकारी नौकरी भी मिल गई है। मुन्नावती पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेंड टीचर नियुक्त हुई हैं।
मुन्नावती झारखंड की राजधानी रांची के डोलइंचा गांव की रहने वाली हैं। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने शनिवार को मुन्नावती को नियुक्ति पत्र सौंपा। राजकीय प्लस-टू हाई स्कूल में नियुक्ति का पत्र मिलने के बाद खुशी से मुन्नावती की आंखें भर आईं। वह कहती हैं कि गरीब परिवार से हूं। इसलिए मजदूरी करना हमारी नियति है। शिक्षा के दम पर अब मैंने एक मुकाम हासिल किया है। शिक्षिका के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगी।
वहीं अब मजदूर से शिक्षक बनी मुन्नावती ने कहा कि जेएसएससी की पीजी ट्रेंड टीचर की नियुक्ति परीक्षा पास करने के बाद उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है। मुन्नावती ने कहा कि वर्षों की मेहनत और संघर्ष रंग लाई है। इसे बेकार नहीं जाने देंगी। बच्चों को बेहतर शिक्षा देंगी, ताकि उन्हें पढ़ाई-लिखाई में कोई दिक्कत न हो। मुन्नावती के परिवार के अन्य सदस्यों में दो उनकी बड़ी बहनें और एक भाई भी है। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण 1998 में दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। अब उन्हें इसका जरा भी मलाल नहीं है।