खाद्य मंत्री सरयू राय का पत्र, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मांगी इस्तीफे की अनुमति

Edited By prachi,Updated: 10 Feb, 2019 11:42 AM

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (BJP President Amit Shah) से मिलने दिल्ली (Delhi) गए झारखंड सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय (Food Supply Minister Saryu Roy) शनिवार (Saturday) को रांची (Ranchi) लौट आए। अमित शाह के दिल्ली से बाहर होने के कारण दोनों की...

रांची: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (BJP President Amit Shah) से मिलने दिल्ली (Delhi) गए झारखंड सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय (Food Supply Minister Saryu Roy) शनिवार (Saturday) को रांची (Ranchi) लौट आए। अमित शाह के दिल्ली से बाहर होने के कारण दोनों की मुलाकात नहीं हो सकी। सरयू राय ने शाह के घर पर एक चिट्ठी छोड़ी है। इसमें उन्होंने शाह से इस्तीफे की अनुमति मांगी है। साथ ही जवाब देने के लिए उन्हें 28 फरवरी (February 28) तक का समय दिया है।

पत्र में सरयू राय ने 4 अगस्त 2017 (4 August 2017) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और 21 अगस्त 2017 (21 August 2017) को अमित शाह से हुई मुलाकात और उस दौरान झारखंड सरकार के बारे में हुई बातचीत का जिक्र किया है। कहा है कि आपसे निवेदन करने मैं दिल्ली आया था। पर आपके दिल्ली से बाहर रहने के कारण यह लिखित निवेदन में छोड़कर जा रहा हूं। आप जब भी आदेश करेंगे, मैं हाजिर हो जाऊंगा। आपसे अनुरोध है कि फरवरी (February) के अंत तक या इससे पूर्व इस बारे में आपका निर्देश मिल जाएगा।

सरयू राय ने पत्र में लिखा है- मैं समझता हूं कि हर व्यक्ति की अपनी कार्यशैली होती है। अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। विशेषताएं, खूबियां-खामियां होती हैं। किसी की आलोचना करना मेरा मकसद नहीं है। मेरा निवेदन है कि अगर झारखंड के मुख्यमंत्री की कार्यशैली में, बात-व्यवहार में, प्राथमिकताओं में बदलाव संभव नहीं है तो उनके अनुरूप ढलना मेरे लिए भी संभव नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व या राज्य नेतृत्व के पास इस बारे में पहल करने का समय नहीं है तो बेहतर होगा कि मैं केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष असमंजस की स्थिति पैदा करने के बदले खुद मंत्रिपरिषद से अलग हो जाऊं, ताकि रोज-रोज के खटपट से, विवाद से और शर्मिंदगी से मुझे छुटकारा मिले।

बुधवार (Wednesday) को राय ने कहा था कि बर्दाश्त की एक सीमा होती है। अब पानी नाक के ऊपर से बहने लगा है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है। बार-बार पत्र लिखने पर भी कार्रवाई नहीं हो रही। प्रदेश में पार्टी के जो लोग उचित स्थान पर हैं, वे भी समाधान नहीं खोजते तो तकलीफ होती है। इस सरकार में रहना शर्मनाक है। मंत्री न रहकर भी पार्टी और समाज का काम किया जा सकता है। ऐसी ही स्थितियों में पहले मैंने संसदीय कार्यमंत्री का पद छोड़ा था।

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