बाबूलाल मरांडी की JVM ने हेमंत सरकार से वापस लिया अपना समर्थन, जानिए वजह

Edited By Nitika,Updated: 24 Jan, 2020 06:47 PM

jvm withdraws support from hemant government

बाबूलाल मरांडी के झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) ने झारखंड की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गठबंधन में शामिल कांग्रेस उसके विधायकों को खुलेआम तोड़ने की कोशिश कर...

 

रांचीः बाबूलाल मरांडी के झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) ने झारखंड की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गठबंधन में शामिल कांग्रेस उसके विधायकों को खुलेआम तोड़ने की कोशिश कर रही है।

झाविवो के केन्द्रीय महासचिव सरोज सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि झाविमो ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस ले लिया है। झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी प्रमुख बाबूलाल मरांडी सहित झाविमो के 3 विधायक निर्वाचित हुए थे, जिनमें से मांडर के विधायक बंधू तिर्की को पार्टी ने 2 दिनों पूर्व पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था। विधानसभा में अब झाविमो के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित 2 विधायक शेष हैं।

झाविमो ने गुरुवार को दिल्ली में पार्टी के विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और निष्कासित विधायक बंधू तिर्की के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात का संज्ञान लिया और शुक्रवार को सरकार से समर्थन वापसी का फैसला किया। इसके अलावा झाविमो ने पार्टी के विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को विधायक दल के नेता पद से भी पदच्युत कर दिया है। हेमंत सोरेन को लिखे अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हमारी झाविमो ने 24 दिसंबर को आपके नेतृत्व में संप्रग गठबंधन सरकार को बिना शर्त समर्थन देने के लिए पत्र लिखा था। मरांडी ने आगे लिखा है, ‘‘संप्रग गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ही हमारी पार्टी के विधायकों को तोड़कर अपने दल में शामिल करवाने के लिए प्रयासरत हैं। इस प्रकार का समाचार मीडिया में आया है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि इस परिस्थिति में हमारी पार्टी समर्थन के मुद्दे पर पुनर्विचार करते हुए आपके नेतृत्व में चल रही संप्रग गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेती है। नवंबर-दिसंबर 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनावों में 81 सदस्यीय विधानसभा में झाविमो के तीन विधायक चुनाव जीत कर आए थे जबकि सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30, उसकी सहयोगी कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट मिली थी। अतः बहुमत के लिए आवश्यक 41 विधायकों से अधिक 47 विधायकों का समर्थन सरकार के पास है, जिसके चलते झाविमो के निर्णय के कारण राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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