झारखंड विस चुनाव 2019: BJP, JMM और JVM ने गिरिडीह सीट पर प्रचार में झोंकी पूरी ताकत

Edited By prachi,Updated: 13 Dec, 2019 02:59 PM

bjp jmm and jvm campaigned in giridih seat

झारखंड के गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने प्रचार के अंतिम चरण में अपनी सारी ताकत झोंक दी है और पार्टी प्रत्याशी घर-घर जाकर लोगों से...

गिरिडीहः झारखंड के गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने प्रचार के अंतिम चरण में अपनी सारी ताकत झोंक दी है और पार्टी प्रत्याशी घर-घर जाकर लोगों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं।गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, झामुमो, झाविमो और लोजपा उम्मीदवारों के बीच चतुष्कोणीय मुकाबले के आसार दिखाई दे रहे हैं। अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए इन चारों दलों के नेता एवं कार्यकर्ता प्रचार के अंतिम चरण में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। बड़ी-बड़ी जनसभाओं के अलावा पार्टी प्रत्याशी घर-घर जाकर लोगों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं।

गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से 12 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे है जिनके भाग्य का फैसला 16 दिसम्बर को मतदाता करेंगे लेकिन इस विधानसभा सीट से भाजपा के निर्भय कुमार शाहाबादी, झामुमो के सुदिब्य कुमार, लोजपा के उपेंद्र कुमार शर्मा और झाविमो के चुन्नूकांत के बीच मुकाबला माना जा रहा है। इस सीट से वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। वर्ष 2019 के चुनाव में तीन निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं, जो मुकाबले में तो नहीं लेकिन चुनाव समीकरण को प्रभावित अवश्य करेंगे। इनमें मोहम्मद लल्लू का नाम सबसे आगे है।

अविभाजित बिहार के गिरिडीह विधानसभा सभा सीट से चतुरानन मिश्र भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (भाकपा) के टिकट से तीन बार विधानसभा पहुंचे, और वर्ष 2019 में भाजपा के निर्भय कुमार शाहाबादी तीसरी बार विधानसभा जाने की तैयारी में लगे हैं। वर्ष 1995 में यह सीट भाजपा के कब्जे में चली गई थी। झारखंड बनने के बाद वर्ष 2000 में भी यह सीट भाजपा के कब्जे में ही रही थी, तब चंद्रमोहन प्रसाद चुनाव जीते थे। इसके बाद वर्ष 2005 में झामुमो के मुन्नालाल भाजपा से यह सीट छीनने में कामयाब हुए। वर्ष 2010 में निर्भय कुमार शाहाबादी झाविमो के टिकट से औऱ 2014 में वह भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार भी शाहाबादी भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे है। शाहाबादी को चुनाव लड़ने का पुराना अनुभव है। वह 1995 से ही चुनावी जंग में शह और मात का खेल खेल रहे हैं।

गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से उपेंद्र कुमार शर्मा लोजपा के टिकट से पहली बार चुनाव लड़ रहे है। वह पूर्व में स्वास्थ्य कर्मचारी थे। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनावी जंग में कूद गए है। उनका दावा है कि यदि वह जीते तो इस क्षेत्र में विकास का कार्य तेजी से कराएंगे। वहीं, झाविमो से पहली बार गिरिडीह विधानसभा से एक पत्रकार चुन्नू कांत चुनावी जंग में ताल ठोक रहे हैं। वह पत्रकार के साथ-साथ अधिवक्ता भी हैं। वह दो बार जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव चुने गए। वर्तमान में भी अधिवक्ता संघ के महासचिव हैं। विकास के लंबे चौड़े दावे इनके पास भी हैं। जातिगत समीकरण बनाने में इन्हें महारथ हासिल है।

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