लॉकडाउनः कटे हाथ को पॉलीथिन में रखकर बिहार से गोरखपुर आया युवक, डॉक्टरों ने किया चमत्कार

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 05 May, 2020 09:12 PM

young man came to gorakhpur from bihar by keeping his hand in polythene

कोरोना वायरस संकट के बीच लागू लॉकडाउन में सब कुछ बंद है। ऐसे में उस पल की कल्पना कीजिए जब एक व्यक्ति अपने कटे हांथों को एक पॉलीथिन में रखकर बिहार के बगहा से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर आया हो। वह पल निश्चित तौर पर दर्दनाक...

गोरखपुरः कोरोना वायरस संकट के बीच लागू लॉकडाउन में सब कुछ बंद है। ऐसे में उस पल की कल्पना कीजिए जब एक व्यक्ति अपने कटे हांथों को एक पॉलीथिन में रखकर बिहार के बगहा से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर आया हो। वह पल निश्चित तौर पर दर्दनाक रहा होगा मगर 'धरती के भगवान' कहे जाने वाले डॉक्टरों ने इस चुनौती पर भी फतह कर ली। उनकी टीम ने रिस्क भरा ऑपरेशन किया और मरीज के हाथ को सही सलामत जोड़ कर चमत्कार दिखाया और उसे एक नया जीवन दिया।
लॉकडाउन का मिला फायदा
बता दें कि मामला बिहार का है मगर चमत्कार UP के गोरखपुर में देखने को मिला। दरअसल, 22 अप्रैल को बिहार के बगहा के रहने वाले विजय कुमार के यहां सरसों की पेराई मशीन चल रही थी। तभी खली साफ करते वक्त उनका हाथ वहां पर फंस गया, जिसके कारण हाथ कोहनी के पास से उखड़कर अलग हो गया। स्थानीय डॉक्टरों के सुझाव पर उन्होंने गोरखपुर के प्लास्टिक सर्जन नीरज नथानी से संपर्क किया, जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें कटे हाथ को पॉलीथिन में रखकर बर्फ के बीच जल्द से जल्द गोरखपुर लाने की सलाह दी। वह जैसे ही गोरखपुर पहुंचा उसको सीधे ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया। यहां करीब 8 घंटे तक इनका इलाज चला। खून की थमनियों में धूल के कण चिपके थे। नर्व डैमेज थे इसलिए पहले हाथ को दस सेंटीमीटर काटकर छोटा किया गया और फिर उस हिस्से को जोड़ा गया।

पिस कर कटा था हाथ नर्व थी डैमेज
गोरखपुर के जिस सावित्री अस्पताल में ये ऑपरेशन हुआ उसके प्रबंधक और ऑर्थो सर्जन डॉक्टर ब्रिजेश जायसवाल ने बताया कि ये बहुत की कठिन ऑपरेशन था। हाथ शार्प नहीं कटा था बल्कि पिस कर कटा था जिसमें नर्व भी डैमेज हो गयी थी। हड्डी को जोड़ने के साथ नर्व को जोड़कर खून का संचार कराना बहुत बड़ी चुनौती थी, जिसमें हमारी टीम सफल रही। मरीज को ICU में रखने के दौरान बहुत सावधानियां बरती गयीं। वहां पर AC नहीं चलने दिया गया नहीं तो नर्व पर असर पड़ता।

अब पूरी तरह से स्वस्थ है मरीज
फिजीशियन डॉक्टर मनीष तिवारी ने बताया कि इस ऑपरेशन में जितना रिस्क भरा प्री-ऑपरेशन था उतना ही रिस्क पोस्ट ऑपरेशन के समय भी था। हाथ जोड़ देने के बाद अगले 48 घंटे बहुत ही क्रिटकल होते हैं। इस दौरान मरीज पर लगातार नजर बनाये रखना होता है। मरीज के परिजनों की सक्रियता और लॉकडाउन के कारण लगे कम समय के कारण भी यह ऑपरेशन सफल रहा। मरीज के जिस हाथ को जोड़ा गया उसमें रक्त संचार शुरू हो गया है। इलाज के बाद विजय अब पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।
 

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