Edited By Deepika Rajput,Updated: 08 Oct, 2018 04:43 PM
बिहार के सुपौल में छात्राओं से मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही खबरें अच्छी नहीं है। खुद को छेड़खानी से बचाने की कोशिश करने पर लड़कियों की पिटाई कर दी गई। बच्चों के साथ एेसा...
पटनाः बिहार के सुपौल में छात्राओं से मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही खबरें अच्छी नहीं है। खुद को छेड़खानी से बचाने की कोशिश करने पर लड़कियों की पिटाई कर दी गई। बच्चों के साथ एेसा व्यवहार कैसे किया जा सकता है। एेसी समस्याएं बढ़ती जा रही है। एेसा नहीं चलेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि पीड़ितों का और नाबालिग आरोपियों का उचित मनोवैज्ञानिक पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय संस्थान स्थापित करें। वहीं केंद्र सरकार ने सुझाव को लागू करने के लिए समय की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
मामला जिले के त्रिवेणीगंज में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय हाई स्कूल का है। पिछले कई महीनों से गांव के कुछ युवक आवासीय स्कूल की दीवार पर अश्लील बातें लिख रहे थे। शनिवार शाम भी कुछ युवक आवासीय स्कूल की दीवार पर भद्दी बातें लिख रहे थे, जिसका लड़कियों ने विरोध किया और एक लड़के को जमकर फटकार लगाई। इस पर गांव के 2 दर्जन से भी ज्यादा लड़के लाठी डंडों के साथ स्कूल में घुस गए। पहले तो लड़कों ने स्कूल में तोड़फोड़ की और उसके बाद छात्राओं की जमकर पिटाई कर दी। इस दौरान कोई भी लड़कियों की मदद के लिए आगे नहीं आया।
इस हमले में तकरीबन 30 लड़कियां बुरी तरह से घायल हो गईं। घटना की जानकारी मिलने पर अधिकारी एंबुलेंस के साथ स्कूल पहुंचे और उन्होंने घायल छात्राओं को इलाज के लिए स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया।