Edited By Deepika Rajput,Updated: 23 Oct, 2018 02:51 PM
देश की राजनीति में उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं। यहां कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। राजनीतिक फायदे के लिए मतभेद भुलाकर विरोधी दल कब साथ आ जाए कोई नहीं कह सकता। एेसा ही कुछ बिहार की राजनीति में देखने को मिल रहा है।
पटना: देश की राजनीति में उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं। यहां कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। राजनीतिक फायदे के लिए मतभेद भुलाकर विरोधी दल कब साथ आ जाए कोई नहीं कह सकता। एेसा ही कुछ बिहार की राजनीति में देखने को मिल रहा है। दरअसल, खबर है कि 2019 के चुनाव को लेकर बीजेपी और जदयू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर अटकी बात बन गई है।
खबरों के मुताबिक, दोनों पार्टी लगभग बराबर-बराबर सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को 5 सीटों का ऑफर दिया गया है। वहीं राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के लिए महज दो सीटें छोड़ी गई हैं। एेसे कयास लगाए जा रहें हैं कि यदि आरएलएसपी दो सीटों पर नहीं मानती हैं तो दोनों सीटों को जेडीयू-बीजेपी आपस में बांट लेगी।
बता दें कि, बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में अकेले बीजेपी के खाते में 22 सीटें गईं थीं। वहीं राजद 4, लोजपा 6, रालोसपा 3, जदयू 2, कांग्रेस 2 और एनसीपी को एक सीट जीतने में सफलता मिली थी। वहीं एनडीए की बात करें तो उसने 31 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की थी।