Edited By Nitika,Updated: 21 Jan, 2020 10:46 AM
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सीएए एवं एनपीआर को सही ठहराते हुए इसका विरोध करने वालों के बारे में कहा कि संविधान ने सभी को अपनी बात रखने का अधिकार दिया है।
पटनाः केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सीएए एवं एनपीआर को सही ठहराते हुए इसका विरोध करने वालों के बारे में कहा कि संविधान ने सभी को अपनी बात रखने का अधिकार दिया है।
पटना में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए रामविलास ने कहा चाहे कोई भी सरकार हो, किसी सरकार की हिम्मत नहीं है कि भारतीय नागरिक चाहे, हिंदू, मुसलमान, सिख या इसाई हो उसकी नागरिकता खत्म कर दे। उन्होंने सीएए को लेकर दलित वर्ग के बीच भ्रांति पैदा किए जाने की बात करते हुए कहा कि उन्हें स्वयं का भी असली जन्मदिन मालूम नहीं है तो क्या हम हिंदुस्तान के नागरिक नहीं हुए।
रामविलास ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था और उसमें संशोधन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं 1974 के छात्र आंदोलन से राजनीति में आए हैं। छात्रों की अपनी भावना है। उन्हें रोक भी नहीं सकते। हम उनके बारे में धर्म के आधार पर सोचते भी नहीं हैं कि वे जामिया मिल्लिया अथवा जेएनयू के हैं। रामविलास ने कहा कि हमलोग बचपन से यह पढते आए हैं कि वाणी में स्वतंत्रता और कर्म पर नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनपीआर का सीएए से कोई संबंध नहीं है और एनआरसी केवल असम के लिए है जो 1971 से चला आ रहा है।
रामविलास ने कहा कि सरकार का मानना है कि पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के इस्लामी राष्ट्र होते हुए भी वहां उसी धर्म के लोग हैं तो कैसे उन्हें अल्पसंख्यक और सताया हुआ माना जाए, लेकिन 1955 के अधिनियम के तहत किसी को भी नागरिकता देने से रोका नहीं जा सकता है। राजग में शामिल जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूरे देश में एनआरसी की मुखालफत किए जाने के बारे में पूछे जाने पर रामविलास ने कहा कि एनआरसी का प्रश्न उठता ही नहीं है। जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने स्थिति स्पष्ट कर दी है तो हम तीन कदम आगे क्यों जा रहे हैं।