नीतीश को लेकर दिए गए 'पिछलग्गू' वाले बयान पर PK ने दी सफाई, कही ये बात

Edited By Nitika,Updated: 20 Feb, 2020 11:33 AM

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बिहार में सत्ताधारी जदयू से निष्कासित प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर दिए गए 'पिछलग्गू' वाले अपने बयान पर सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह जदयू प्रमुख ने राज्य को कोई लाभ दिलवाए बिना केवल सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा के...

पटनाः बिहार में सत्ताधारी जदयू से निष्कासित प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर दिए गए 'पिछलग्गू' वाले अपने बयान पर सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह जदयू प्रमुख ने राज्य को कोई लाभ दिलवाए बिना केवल सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा के समक्ष आत्मसमर्पण किया है, उससे वह परेशान हैं।

प्रशांत ने कहा कि मुख्यधारा के किसी राजनीतिक संगठन द्वारा महात्मा गांधी के हत्यारे की सार्वजनिक प्रशंसा किए जाने का एक हालिया चलन पिछले छह से आठ महीने में देखने को मिला है। नीतीश और उनकी सरकार की ओर इशारा करते हुए प्रशांत ने कहा कि वे एक तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा बताए गए सात पापों से संबंधित शिलापट प्रदेश में लगवा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे लोगों के साथ खड़े हैं जो बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे जिंदाबाद कह रहे हैं। दोनों एक साथ नहीं चल सकता। उसमें से एक जो अच्छा लगे, चुन लें।

सुशील की टिप्पणी का जवाब देने से किया इनकार
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश की आलोचना करने को लेकर प्रशांत पर बरसते हुए कहा था कि अजीब पाखंड है कि कोई किसी को पितातुल्य बताए और पिता के लिए 'पिछलग्गू' जैसा घटिया शब्द चुने। प्रशांत ने सुशील की टिप्पणी का जवाब देने से इनकार कर दिया। किंतु उन्होंने कहा कि पिछले पांच-छह साल जब मैं और नीतीश जी साथ रहे। हमारा संबंध विशुद्ध रूप से राजनीतिक संबंध नहीं था। मैं उनको कई मायने में पितातुल्य ही मानता हूं। राजनीतिक रणनीतिकार ने ‘पिछलग्गू' वाली अपनी टिप्पणी पर सफाई देते हुए कहा कि किसी के साथ गठबंधन के तहत सरकार चलाना अलग बात है पर किसी के सामने आत्मसमर्पण कर उसके मातहत हो जाना दूसरी बात है।

गोडसे की तारीफ करने वाले के साथ बैठी जदयू
भाजपा के साथ पूर्व में काम करने के बावजूद पार्टी पर गोडसे की बात करने का आरोप लगाए जाने पर प्रशांत ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि देश में किसी भी मुख्यधारा की पार्टी ने गोडसे के कुकृत्य को न्यायोचित ठहराने, उसे बेहतर बताने, किसी तौर पर सम्मानित करने या जिंदाबाद कहने की बात देश में पहले नहीं देखी गई। यह पिछले छह आठ मीहने में सुनने को आ रही है। उन्होंने कहा कि इसलिए यह सवाल उठ रहा है। किसी दल का चुना हुआ सांसद लोकसभा में गोडसे की तारीफ कर दे और आप जदयू उसी के साथ बैठे हैं। इतनी भी आपकी हिम्मत नहीं कि उसकी निंदा करें।उन्होंने लोकसभा में भोपाल सांसद से जुड़ी एक घटना का परोक्ष संकेत करते हुए यह बात कही।

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