Edited By Nitika,Updated: 25 Feb, 2020 01:18 PM
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज विधानसभा में राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को अनावश्यक बताया और कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के वर्तमान प्रारूप से भविष्य में एनआरसी के लागू होने पर कुछ लोगों को खतरा उत्पन्न होगा।
पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज विधानसभा में राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को अनावश्यक बताया और कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के वर्तमान प्रारूप से भविष्य में एनआरसी के लागू होने पर कुछ लोगों को खतरा उत्पन्न होगा। इसे देखते हुए उनकी सरकार ने एनपीआर 2010 के पुराने प्रारूप के आधार पर ही करवाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
नीतीश कुमार ने विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर पर सदन में विशेष विमर्श के लिए दिए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद करीब एक घंटे तक हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सात अक्टूबर 2019 को भारत सरकार के रजिस्ट्रार सह जनगणना आयुक्त की ओर से बिहार सरकार को एनपीआर के संबंध में एक पत्र भेजा गया था। इससे पहले 15 मई 2010 से 15 जून 2010 के बीच एनपीआर करवाया गया था और इसके बाद साल 2015 में भी इस पर कुछ काम हुआ था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार 2020 में जो एनपीआर करवाने के लिए पत्र भेजा गया है उसके प्रारूप में कुछ अन्य सूचनाओं को एकत्र करने की बात है। साल 2010 के एनपीआर में थर्ड जेंडर को शामिल नहीं था लेकिन इस बार इसमें थर्ड जेंडर को जोड़ा गया है। इसके अलावा माता-पिता का नाम, उनकी जन्मतिथि, उनका जन्म और मृत्यु का स्थान आदि की भी जानकारी मांगी गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की जानकारी हर किसी को नहीं है। वह भी अपने माता-पिता के संबंध में ऐसी जानकारी से अनजान है।
नीतीश कुमार ने कहा कि एनपीआर 2020 में माता-पिता के संबंध में पूछी गई जानकारी उपलब्ध नहीं होने पर उसके आगे इनवर्टेड कॉमा के अंदर छोटी लकीर खींचकर छोड़ देना है। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में एनआरसी के लागू होने पर खतरा उत्पन्न होगा इसलिए उनकी सरकार ने भारत सरकार के रजिस्ट्रार सह जनगणना आयुक्त को 15 फरवरी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि एनपीआर में थर्ड जेंडर को जोड़ने के अलावा अन्य नए प्रश्नों को शामिल नहीं किया जाए।