Edited By prachi,Updated: 31 Jul, 2018 06:01 PM
नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखी। अब इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी। बिहार सरकार ने एक बार फिर अपना पक्ष रखते हुए राज्य के...
पटना: नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखी। अब इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
बिहार सरकार ने एक बार फिर अपना पक्ष रखते हुए राज्य के खजाने पर बोझ पड़ने की बात कही। बिहार के नियोजित शिक्षक बड़ी ही बेसब्री से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि नियोजित शिक्षकों का वेतन चपरासी से भी कम क्यों हैंं। इस पर राज्य सरकार ने कहा था कि अगर नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों को भांति वेतन दिया जाएगा तो राज्य के खजाने पर 36 हजार 998 करोड़ रुपए को बोझ पड़ेगा। अब राज्य के 3 लाख 70 हजार नियोजित शिक्षकों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।