बैंक खाता खोलने में कांग्रेस संविधान का भी हुआ उल्लंघन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Feb, 2018 06:37 PM

violation of congress constitution in opening bank accounts

एनएच-74 घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के राडार पर आए प्रदेश कांग्रेस के चुनावी बैंक खाते से जुड़ी कई दिलचस्प जानकारियां धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। इस खाते में धनराशि जमा करवाने या आहरित करवाने में नियम-कानून का उल्लंघन हुआ या नहीं, यह तो एसआईटी की...

देहरादून: एनएच-74 घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के राडार पर आए प्रदेश कांग्रेस के चुनावी बैंक खाते से जुड़ी कई दिलचस्प जानकारियां धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। इस खाते में धनराशि जमा करवाने या आहरित करवाने में नियम-कानून का उल्लंघन हुआ या नहीं, यह तो एसआईटी की जांच में पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि इसके संचालन में कांग्रेस पार्टी के संविधान का उल्लंघन जरूर हुआ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के बजाय खाते के संचालन का जिम्मा अन्य दो पदाधिकारियों को सौंपे जाने से पहले उन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया जो पार्टी संविधान में शामिल है। 

पैसा कहां से आया इसकी जांच SIT कर रही 
भारत निर्वाचन आयोग की गाइड-लाइन के अन्तर्गत कांग्रेस कमेटी ने 16 दिसम्बर, 2016 को विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस ने नेशविला रोड स्थित स्टेट बैंक की शाखा में अपना नया खाता खोला। खाता खुलने के महज एक महीने में ही इस खाते में 5.45 करोड़ का धन चंदे के रूप में जमा हुआ जो 11 चैक व 46 फंड ट्रांसफर के जरिए इस खाते में डाला गया। यह पैसा कहां से आया इसकी जांच एसआईटी कर रही है। इस संबंध में एसआईटी एक बार तत्कालीन राज्य कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से पूछताछ कर चुकी है। उसके बाद से उत्तराखंड की सियासत में तूफान मचा हुआ है। जानकारों की मानें तो इस खाते के संचालन में कांग्रेस के संविधान का भी उल्लंघन हुआ है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी का अपना एक संविधान है, जिसके तहत ब्लाक कांग्रेस कमेटी से लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी, एआईसीसी की गतिविधियां संचालित होती हैं। 

संविधान के नियम का किया गया उल्लंघन 
कांग्रेस के संविधान में प्रावधान है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कोई भी बैंक खाता पीसीसी का अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षरों से संचालित होगा। यदि अति व्यस्तता या अन्य किसी ठोस कारण की वजह से अध्यक्ष या कोषाध्यक्ष खाते का संचालन करने में असमर्थ हों तो उनकी जगह पीसीसी के अन्य पदाधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है लेकिन, बाकायदा उसका प्रस्ताव पीसीसी की बैठक बुलाकर उसमें पारित करना होगा। इस मामले में कांग्रेस संविधान के इसी नियम का उल्लंघन किया गया। हुआ यह कि तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस खाते की जिम्मेदारी 2 कांग्रेसियों सुरेन्द्र सिंह रांगड़ और कमल सिंह रावत को सौंप दी। इससे संबंधित प्रस्ताव पारित करने के लिए ना तो पीसीसी की बैठक बुलाई गई और न ही प्रस्ताव पारित किया गया। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की संबंधित शाखा को किशोर ने अपने स्तर से ही पत्र लिखकर खाते के संचालक बदलवा लिए।

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