Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 03:35 PM
बकरी स्वयंवर में जाने क्या कशिश है कि बार-बार उत्तराखंड की भाजपा सरकार के गले में वर माला की तरह पड़ जाता है। ''बड़ी मुश्किल से दिल की बेकरारी पे करार आया'' वाले अंदाज में किसी तरह भाजपा नेताओं ने बकरी स्वयंवर में..
देहरादून/ ब्यूरो। बकरी स्वयंवर में जाने क्या कशिश है कि बार-बार उत्तराखंड की भाजपा सरकार के गले में वर माला की तरह पड़ जाता है। 'बड़ी मुश्किल से दिल की बेकरारी पे करार आया' वाले अंदाज में किसी तरह भाजपा नेताओं ने बकरी स्वयंवर में वैदिक मंत्रों को पढ़े जाने की योजना का विरोध करने वाले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को शांत रहने के लिए तैयार किया था।
अब फिर पशुपालन राज्य मंत्री रेखा आर्य ने महाराज की दुखती नस को दबा दिया है। रेखा आर्य ने यह घोषणा कर दी है कि बकरी स्वयंवर तो होगा और होकर रहेगा। उन्होंने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स से अपनी योजना का खुलासा भी किया।
रेखा आर्य का साफ कहना है कि उत्तराखंड के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के गरीब पशुपालकों और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए उन्नत नस्ल की बकरियां देना जरूरी है। बकरियां ऐसी हों, जो अधिक दूध दे सकें। उन्नत नस्ल की बकरियों के लिए ही बकरी स्वयंवर जैसी योजनाओं का होना बहुत जरूरी है।
ताकि उन्नत नस्ल की बकरियों को बढ़ाने के लिए प्रजनन कराया जा सके। साथ ही पशुपालकों और किसानों में जागरूकता भी पैदा की जा सके। रेखा आर्य ने बताया कि फरवरी माह में एक स्वयंसेवी संस्था के बकरी स्वयंवर में सरकार और पशुपालन विभाग को भागीदारी करनी थी। लेकिन फरवरी में रखे जाने वाले बजट और दूसरे व्यस्त कार्यक्रमों के कारण यह संभव नहीं हो पाया था।
अब मार्च या अप्रैल माह में बकरी स्वयंवर की योजना है जिसमें पशुपालन विभाग हिस्सा होगा। यह पूछे जाने पर क्या बकरी स्वयंवर के लिए वैदिक मंत्रों का उच्चारण भी किया जाएगा रेखा आर्य ने दो टूक कहा कि स्वयंवर के लिए मंत्रोच्चारण कराना पड़े या कोई और तरकीब की जरूरत हो तो वह पीछे नहीं हटेंगी। जनवरी माह में बकरी स्वयंवर को लेकर जो विवाद उत्पन्न हुआ था, उसके बारे में पशुपालन राज्यमंत्री ने साफ किया कि न उनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव था, न ही कोई दबाव है।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि जनवरी में जब रेखा आर्य ने बकरी स्वयंवर में पशुपालन विभाग और सरकार की भागीदारी की बात कही थी, तो पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने उनकी प्रेस कान्फ्रेंस रद करा दी थी और बाद में बकरी स्वयंवर में वैदिक मंत्रों के उच्चारण के खिलाफ बयान भी जारी कर दिया था। यह मामला इतना तूल पकड़ गया था कि कैबिनेट बैठक में बहस का मुख्य मुद्दा बना।
इस मामले पर मंत्रियों में मतभेद इतना तीखा था कि मुख्यमंत्री को दखलंदाजी करनी पड़ी थी। इसके बाद सरकार ने बकरी स्वयंवर से खुद को अलग कर लिया था। स्वयंवर कराने वाली संस्था ने भी वैदिक मंत्रों के उच्चारण से तौबा कर ली थी।
हालांकि यह बकरी स्वयंवर ग्रीन पीपुल संस्था पिछले कई सालों से आयोजित कर रही थी। जिसके लिए लगने वाले मेले में किसानों, पशुपालकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही थी। विदेशी पर्यटकों को भी यह समारोह लगातार आकर्षित कर रहा था।
सतपाल महाराज के विरोध और बकरी स्वयंवर को लेकर उपजे विवाद के बाद इस कार्यक्रम को ग्रहण सा लग गया था जिससे बकरियों की नस्ल को उन्नत करने के साथ ही पर्यटन को बढ़ाने के प्रयास को झटका लगा था। अब जब रेखा आर्य ने मोर्चा एक बार फिर खोल दिया है, तो सतपाल महाराज क्या करते हैं? इसका इंतजार सबको होगा।