मीसा बंदियों को पेंशन मिलने पर सियासी संग्राम, कांग्रेस का BJP पर हमला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 06:16 PM

congress targets bjp on pension plans to

आपातकाल का विरोध करने के कारण जेल जाने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को राज्य सरकार द्वारा पेंशन दिये जाने की घोषणा के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी संग्राम छिड़ गया है। कांग्रेस ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते ...

देहरादून/टीम डिजिटल।आपातकाल का विरोध करने के कारण जेल जाने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को राज्य सरकार द्वारा पेंशन दिये जाने की घोषणा के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी संग्राम छिड़ गया है। कांग्रेस ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए पूछा कि लोकतंत्र के हत्यारों को पेंशन देकर सरकार क्या साबित करना चाहती है। उधर, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने ऐसे नेताओं को लोकतंत्र के सच्चे सिपाही की संज्ञा देकर कहा है कि आपात काल के दौरान उन पर बेतहाशा जुल्म हुए। उन पर हुए जुल्म के बदले में यह पेंशन बहुत कम है।

दरअसल, इमरजेंसी के समय तत्कालीन केन्द्र सरकार का विरोध करने के कारण जेल जाने वाले नेताओं को राज्य सरकार ने 16000 रुपये प्रति माह बतौर पेंशन देने का निर्णय लिया है। इस संबंध में गृह सचिव आनंदवर्द्धन की ओर से शासनादेश भी जारी किया गया है।

जारी शासनादेश में निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन लिखकर जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करने और जिलाधिकारी द्वारा गुण दोष के आधार पर पात्रता की अनुशंसा करने पर पेंशन दिये जाने का प्रावधान किया गया है। गुरुवार को जारी इस शासनादेश के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों आमने- सामने हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि आपात काल के दौरान विपक्ष के कतिपय नेताओं ने काफी जुल्म सहे। बगैर किसी कारण के उन्हें महीनों तक जेल में रखा गया और घोर यातना दी गयी।

ऐसे नेताओं के नाखून तक उखाड़ लिये गये थे। उन पर जो बीती उसकी भरपाई तो नहीं की जा सकती, पर उन्हें सम्मान तो दिया ही जा सकता है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की तरह ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतंत्र के सिपाहियों का सम्मान होना ही चाहिए।

केन्द्र की तत्कालीन सरकार ने ऐसे नेताओं पर बहुत अत्याचार किये थे। उधर, सरकार के इस फैसले का कांग्रेस की ओर से विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि ऐसे लोगों को लोकतंत्र का सिपाही कहकर प्रदेश सरकार इस देश की जनता का अपमान कर रही है। वे लोकतंत्र के हत्यारे हैं। उन्होंने निर्वाचित सरकार को विस्थापित करने की साजिश रची थी। ऐसे लोग किसी सम्मान के हकदार नहीं हो सकते।

पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने भी सरकार के इस फैसले की अलोचना की है। कांग्रेस के तर्कों से सहमति जताते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने भी पेंशन देने की योजना का विरोध किया है। कहा गया है कि राज्य आंदोलन के दौरान कई आंदोलनकारी शहीद हो गये थे। सरकार को पहले राज्य आंदोलनकारियों के लिए सम्मानजनक व्यवस्था करनी चाहिए।

पेंशन के लिए पात्रताएं

-ऐसे व्यक्ति जो 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच मीसा या डीआरआई में निरुद्ध हुए हों। ऐसे पात्र व्यक्ति को जून 2017 से पेंशन के रूप में 16 हजार रुपये प्रति माह दिये जायेंगे।

-उत्तराखंड का निवासी होना पात्रता की अनिवार्य शर्त होगी। यह साबित करना होगा कि उन्होंने निर्धारित समय सीमा के अंदर कम से कम एक माह जेल की सजा काटी और आपात काल के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

-ऐसे पात्र व्यक्ति निर्धारित प्रपत्र को भरकर जिलाधिकारी को सौंपेंगे। जिलाधिकारी की संस्तुति पर अंतिम निर्णय शासन लेगा। राष्ट्रद्रोह या किसी भी अनैतिक कार्य में लिप्त होने पर पेंशन को निरस्त किया जा सकता है।

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!