सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के बयानों में दिखा टकराव, दोनों ने दी भिन्न-भिन्न राय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 06:42 PM

clashes showing statements of cm and state president

उत्तराखंड में भाजपा सरकार और संगठन के बीच तालमेल का अभाव साफ  झलक रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बयान पार्टी को असहज कर रहे हैं।

देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा सरकार और संगठन के बीच तालमेल का अभाव साफ झलक रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बयान पार्टी को असहज कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान दो अवसर आएं हैं, जब अजय भट्ट ने मुख्यमंत्री के बयान के उलट अपनी राय दी है। पहले सहारनपुर को उत्तराखंड में शामिल करने के मामले पर दोनों की राय जुदा दिखी और अब नगर निकाय चुनाव में मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपे जाने के मामले में अजय ने सीएम के बयान को नकार दिया है। 

सीएम के सहारनपुर बयान पर राजनीति में मची हलचल
कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ने सहारनपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बयान दिया था कि सहारनपुर को उत्तराखंड राज्य में मिलाए जाने की मांग काफी पुरानी है और वह इस मांग के समर्थक रहे हैं। सीएम के इस बयान से राजनीति में हलचल मच गई। अगले ही दिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि यूपी के किसी भी हिस्से को उत्तराखंड में मिलाए जाने का भाजपा घोर विरोध करती आई है और आगे भी करती रहेगी। 
 
नगर निगम की जिम्मेदारी धन सिंह रावत को दीः सीएम
अजय के इस विरोधी बयान के बाद त्रिवेन्द्र ने इस मामले में दोबारा अभी तक सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं की है। यह पहला मौका नहीं है जब सीएम और अजय भट्ट का किसी मुद्दे पर टकराव दिखा है। इसके बाद सीएम ने निकाय चुनाव को लेकर बयान दिया कि सरकार के मंत्रियों को नगर निगमों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। देहरादून नगर निगम की जिम्मेदारी डा. धन सिंह रावत को दी गई है। इसी प्रकार मंत्रियों को एक-एक नगर निगम के चुनाव का दायित्व सौंपा गया है। 

संगठन में दिखा सामंजस्य का अभाव 
इस संबंध में जब प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी निकाय चुनाव को लेकर मंत्रियों की भूमिका तय नहीं की गई है और ना ही किसी को कोई जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री संगठन में आम कार्यकर्त्ता की तरह अपना योगदान देंगे, उस समय तय किया जाएगा कि किस मंत्री को क्या काम सौंपा जाना है? त्रिवेन्द्र और अजय के इन बयानों से साफ है कि सरकार और संगठन में सामंजस्य का अभाव है और दोनों के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है।
 

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