Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 07:00 PM
चमोली के कुहेड गांव की सिंचाई नहर 2015 के आपदा आने के बाद से बदहाल पड़ी है। ग्रामीणों ने कही बार शासन प्रशासन से इस की शिकायत भी की लेकिन ग्रमीणों का कहना है कि बजट को ही प्रमुख कारण बता कर हर बार गांव वालों को खाली हाथ लौटाया जाता है।
चमोली(भूपेन्द्र भंडारी): चमोली के कुहेड गांव की सिंचाई नहर 2015 के आपदा आने के बाद से बदहाल पड़ी है। ग्रामीणों ने कही बार शासन प्रशासन से इस की शिकायत भी की लेकिन ग्रमीणों का कहना है कि बजट को ही प्रमुख कारण बता कर हर बार गांव वालों को खाली हाथ लौटाया जाता है।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार बड़ी-बड़ी घोषणा तो कर देती है मगर आम लोगों तक इस का लाभ नहीं पहुंच पाता है। कुहेड गांव के लोगों की आय का प्रमुख साधन कृषि है और यहां पर 20 परिवार से अधिक लोग अपना खेती से रोजगार करते है, लेकिन सिंचाई की नहर क्षतिग्रस्त होने से किसानों का जीवन कठिन हो गया है। कुहेड गांव में पानी की कोई कमी नहीं है लेकिन नेहरें आपदा आने के तीन साल बाद भी क्षतिग्रस्त पड़ी है और खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है।
गांवों के लोगों ने किसी तरह पानी की व्यवस्था के लिए पाइपों को जोड़ कर थोड़ा बहुत पानी तो खेतों तक पहुंचा दिया है लेकिन इतना पानी खेतों के लिए काफी नहीं है। इसके लिए ग्रामीण कई बार इसकी शिकायत कर चुके है और हर बार बजट ना होने का कारण रखा जाता है। ऐसे में पलायन तो स्वाभाविक है।