Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Sep, 2017 12:31 PM
आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाला ''ब्लू व्हेल चैलेंज'' अब देहरादून में भी दस्तक दे चुका है। जहां 12वीं की छात्रा को पुलिस की सूझ-बूझ से बचा लिया गया।
देहरादून (कुलदीप रावत): आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाला 'ब्लू व्हेल चैलेंज' अब देहरादून में भी दस्तक दे चुका है। जहां 12वीं की छात्रा को पुलिस की सूझ-बूझ से बचा लिया गया। बता दें देहरादून की यह छात्रा खूनी खेल के तीसरे स्टेज पर पहुंच चुकी थी। कोेई भी खौफनाक कदम उठाने से पहले ही पुलिस ने उसका मोबाइल जब्त कर लिया।
तीसरी स्टेज पर पहुंची चुकी थी छात्रा
दरअसल चकराता रोड स्थित केंद्रीय विद्यालय में 12वीं की छात्रा कई दिनों से ब्लू व्हेल गेम खेल रही थी। छात्रा के पिता का देहांत हो चुका है। स्कूल के ही एक साथी ने उसके मोबाइल में यह गेम चलाया था। वह दो स्टेज पार कर तीसरे स्टेज पर पहुंच चुकी थी। इस बीच इसकी जानकारी खुफिया विभाग को मिली। विभागीय अधिकारियों ने पड़ताल शुरू की और पुलिस की मदद से छात्रा तक पहुंच गए। छात्रा से सबसे पहले मोबाइल जब्त कर लिया गया है।
लगातार की जा रही काउंसिलिंग
पूछताछ में छात्रा ने बताया कि स्कूल के ही साथी छात्र ने उसके मोबाइल में ब्लू व्हेल गेम चलाया था। वह छात्र भी यह गेम खेल रहा है। एक अन्य छात्र भी खूनी खेल में लगा है। पुलिस ने उन 2 छात्रों की तलाश भी शुरू कर दी है। उधर, छात्रा की काउंसिलिंग भी की जा रही है। उसे समझाया जा रहा है कि यह ब्लू व्हेल गेम कितना खतरनाक है।
एडीजी ने प्रदेश पुलिस को लिखा
पत्र एडीजी अशोक कुमार ने प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को व्लू व्हेल गेम को लेकर एक पत्र लिखा। पत्र में एडीजी द्वारा स्कूल, कॉलेजों में गेम को लेकर सतर्कता बरतने को कहा गया। उनका कहना है कि इस गेम से घबराने की नहीं बल्कि सतर्क होने की जरूरत है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को गोपनीय रूप से स्कूलों में जांच-पड़ताल करने के आदेेश दिए हैं। अशोक कुमार का कहना है कि यह घटना उन बच्चों के अभिभावकों के लिए एक सबक हैं जो काफी समय इंटरनेट पर गेम्स में गुजारते हैं।
हर अभिभावक को सर्तक रहने की जरुरत
एडीजी अशोक कुमार का मानना है कि यह खेल बच्चों के मनोविज्ञान को समझ कर उनके शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। नशे के आदि युवा जल्दी इस खेल की गिरफ्त में आ जाते हैं। उन्होंने अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा कि हर पैरेंट्स अपने बच्चों को समय दें और उनकी खुशियों और समस्याओं को साझा करें। बच्चों को आभासी दुनिया से बाहर निकालकर वास्तविक दुनिया में लाने की जरूरत है।