NH-74 घोटाले में हुई बड़ी कार्रवाई, SIT ने की कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष से पूछताछ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Feb, 2018 01:10 PM

big action taken in nh 74 scam

उत्तराखंड में 300 करोड़ के एनएच 74 घोटाले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से पूछताछ के बाद सियासी दलों में खलबली मची हुई है। कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के अनुसार दोनों प्रमुख दलों के कई मंत्रियों से जांच की जा सकती है।

देहरादून: उत्तराखंड में 300 करोड़ के एनएच 74 घोटाले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से पूछताछ के बाद सियासी दलों में खलबली मची हुई है। कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के अनुसार दोनों प्रमुख दलों के कई मंत्रियों से जांच की जा सकती है। 

प्रीतम सिंह से भी की जाएगी पूछताछ 
जानकारी के अनुसार, आरोप है कि कांग्रेस के बैंक के खाते में चंदा उन लोगों ने भी जमा करवाया जिन पर एनएच 74 में गलत तरीके से मुआवजा पाने का आरोप है। घटना के समय किशोर उपाध्याय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। इस कारण बुधवार को एसआईटी ने उनसे पूछताछ की। एसआईटी ने इशारा किया है कि इस मामले में जल्द ही कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और कुछ अन्य कांग्रेसियों से भी पूछताछ की जाएगी। अन्य कांग्रेसियों में वह भी शामिल हैं जो आजकल भाजपा में हैं और सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। 

नेताओं से स्थानीय स्तर पर पूछताछ संभव नहीं 
इतना ही नहीं एसआईटी इस मामले में कुछ नौकरशाहों से भी पूछताछ करेगी। दरअसल, एनएच 74 की प्रारंभिक जांच कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर डी. सैंथिल पांडियन ने की थी। पांडियन ने साफ तौर पर इस घटना में कुछ नौकरशाहों और नेताओं की भूमिका पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल खड़े किए थे और इस मामले की सीबीआई जांच करवाने को कहा था। कमिश्नर का मानना था कि नेताओं और नौकरशाहों से स्थानीय स्तर पर पूछताछ संभव नहीं है। यह काम सीबीआई ही बेहतर तरीके से कर सकती है। 

एसआईटी ने शुरू की नेताओं से पूछताछ 
इसके बाद ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एनएच 74 घोटाले की सीबीआई जांच करवाने की घोषणा की थी। कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में जिन नेताओं की ओर इशारा किया गया है उनमें से कुछ अब भाजपा में शामिल चुके हैं। केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी सीबीआई जांच करवाने संबंधी राज्य सरकार की योजना को खारिज कर चुके हैं। इस कारण सीएम को भी अपना विचार बदलना पड़ा। राज्य सरकार पर अपनी ईमानदारी को साबित करने का दबाव भी है। इस कारण एसआईटी ने नेताओं से पूछताछ शुरू की है। 
 

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