Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Feb, 2018 07:05 PM
उत्तराखंड के राजभवन में बसंतोत्सव का ‘कर्टेन रेजर’आयोजित किया गया। राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने राजभवन में 24 और 25 फरवरी से आरम्भ हो रहे बसंतोत्सव के बारे में इसकी विस्तार से जानकारी दी। कर्टेन रेजर से पहले राज्यपाल ने एवसेकाडो और आम नीलावी पौधे...
देहरादूनः उत्तराखंड के राजभवन में बसंतोत्सव का ‘कर्टेन रेजर’आयोजित किया गया। राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने राजभवन में 24 और 25 फरवरी से आरम्भ हो रहे बसंतोत्सव के बारे में इसकी विस्तार से जानकारी दी। कर्टेन रेजर से पहले राज्यपाल ने एवसेकाडो और आम नीलावी पौधे लगाए।
डॉ. पाल ने कहा कि राजभवन में आयोजित किया जाने वाला बसंत उत्सव, वर्तमान में देहरादून की पहचान बन चुका है। राजभवन में बसंत उत्सव की परम्परा 2003 से प्रारम्भ की गई। पुष्प प्रदर्शनी के रूप में शुरू हुआ यह आयोजन दिनों-दिन लोकप्रिय होकर अब एक बड़े सांस्कृतिक और आर्थिक महोत्सव का रूप ले चुका है। उत्तराखंड की परिस्थितियां हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश की परिस्थितियों से बिल्कुल अलग हैं। इसलिए यहां की परिस्थितियों के अनुकूल ही कृषि एवं बागवानी की नीति अपनानी होगी। पर्वतीय खेती में अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। हिमालय, उच्च कोटि के औषधीय और सगंध पौधों के लिए जाना जाता है। बड़े स्तर पर औषधीय और सगंध पौधों की खेती राज्य के लिए वरदान साबित हो सकती है। फल, और सब्जियां, फूल, बीज के उत्पादन के लिए यहां की जलवायु अनुकूल है।
राज्यपाल ने कहा राज्य के गठन से पूर्व यहां मात्र 150 हेक्टेयर में पुष्प उत्पादन होता था, जो वर्तमान में बढ़कर 1493 हेक्टेयर क्षेत्रफल हो गया है, जिसमें गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा के अतिरिक्त कारनेशन, ग्लेडियोलस, लीलियम, आर्किड आदि का प्रमुखता से व्यवसायिक उत्पादन किया जा रहा है। संरक्षित खेती के अन्तर्गत पॉलीहाउस में नवीनतम तकनीकियों का समावेश करते हुए फूलों की खेती की जा रही है।