Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Mar, 2018 07:08 PM
25 वर्षीय अंजना रावत पर तब मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा जब उसके पिता का निधन हो गया। इसके कारण उसे पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पिता की चाय की दुकान पर काम करना पड़ा।
श्रीनगर(कुलदीप रावत): 25 वर्षीय अंजना रावत पर तब मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा जब उसके पिता का निधन हो गया। इसके कारण उसे पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पिता की चाय की दुकान पर काम करना पड़ा।
पिता के व्यवसाय को बनाया अपना व्यवसाय
जानकारी के अनुसार, अंजना ने ग्रेजुएट की हुई है लेकिन 7 साल पहले उसके पिता का निधन हो गया। जिसके कारण उस पर अपने परिवार की जिम्मेदारी आ गई। उसे अपने घर का पालन पोषण करने के लिए नौकरी करने बाहर जाना पड़ना था, जिसके कारण उसने अपने पिता के व्यवसाय को ही अपना व्यवसाय बना लिया। पिता की चाय की दुकान पर अंजना ने काम करके यह साबित कर दिया कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता बल्कि यह तो देखने वाले की सोच पर निर्भर करता है। अंजना ने कड़ी मेहनत से यह साबित कर दिया कि बेटी बेटों से कम नहीं होती और उसने सभी लड़कियों के लिए एक मिसाल पेश की है।
अंजना की दिनचर्या आम लड़की से कुछ अलग
बता दें कि अंजना की दिनचर्या एक आम लड़की से कुछ अलग है। वह प्रतिदिन अपने घर के काम निपटाकर सुबह पढ़ने जाती है और फिर अपनी चाय की दुकान खोलती है। अंजना ने गढवाल विश्वाविद्यालय से बी.ए करने के बाद पी.जी की डिग्री हासिल की लेकिन परिस्थितियो ने उसका साथ नहीं दिया और उसे शिक्षा के क्षेत्र को छोड़कर अलग रास्ता चुनना पड़ा।