Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 06:57 PM
यूपी में विभागों के विलय संबंधी खबर पर शुक्रवार को मुहर लग गई। सरकार ने विभागों के विलय की योजना के मसौदे को तैयार कर लिया है। प्रस्तावित मसौदे के अनुसार वर्तमान में प्रदेश सरकार के पास 94 विभाग की जिम्मेदारी थी। जिसे घटाकर 37 तक करने योजना है।...
लखनऊ, आशीष पाण्डेय: यूपी में विभागों के विलय संबंधी खबर पर शुक्रवार को मुहर लग गई। सरकार ने विभागों के विलय की योजना के मसौदे को तैयार कर लिया है। प्रस्तावित मसौदे के अनुसार वर्तमान में प्रदेश सरकार के पास 94 विभाग की जिम्मेदारी थी। जिसे घटाकर 37 तक करने योजना है। विभागों के सीमित होने से यह भी तय हो गया है कि मंत्री मंडल में जल्द ही फेर बदल होगा। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इस विस्तार में नॉन परफार्मिंग मंत्रियों को कुर्सी से हटाने पर विचार किया गया है। योगी की इस कवायद से यूपी के मंत्रियों की नींद उड़ गई है। अनुमान है कि मंत्री मंडल विस्तार में नए व युवा विधायकों को जगह मिल सकती है। सबसे अधिक संभावना उन विधायकों को कैबिनेट में जगह मिलने की है जो आरएसएस से जुड़े हुए हैं। हालांकि विभागों के विलय की औपचारिक घोषणा अभी होना बाकी है।
विभागों के विलय की तैयारी
यूपी के कई विभागों को काफी समय से विलय करने की योजना बन रही थी। 94 विभागों को घटाकर 37 तक सीमित करने पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री को करना है। नए मसौदे में निर्वाचन विभाग, न्याय विभाग, खाद्य एवं रसद, संसदीय कार्य, विधायी, लोकसेवा प्रबंधन, मुख्यमंत्री कार्यालय, उपभोक्ता संरक्षण, आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स जैसे विभागों को स्वतंत्र रखा गया है। इसके अलावा राज्य सरकार के अधीन सभी विभागों को एक दूसरे में समाहित कर दिय गया है। इसकी सिफारिश बहुत पहले ही नीति आयोग ने कर दी थी। नीति आयोग की अपेक्षा के मुताबिक योगी सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को स्मार्ट और जवाबदेह बनाने के लिए एक-दूसरे से जुड़े विभागों क विलय करने की योजना तैयार की है। जाहिर है, विभागों के विलय के बाद अलग-अलग महकमा संभाल रहे मंत्रियों का भी दायित्व बदलेगा। मंत्रिमंडल के फेर बदल में योगी की कसौटी पर खरा न उतरने वाले मंत्रियों की छुट्टी होना तय है। इतना ही नहीं 2019 में निर्धारित लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी मंत्रियों को दायित्व दिया जा सकता है।
विधानसभा सत्र के बाद उलट फेर
यूपी में विधानसभा का शीत कालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू हो रहा है। 22 दिसंबर तक इसके समाप्त होने की संभावना है। इस बीच गुजरात के विधानसभा चुनाव का भी परिणाम सामने आ जाएगा। जिसके बाद योगी का पूरा ध्यान सरकार व मंत्रियों के काम काज पर होगा। हालांकि सरकार और संगठन का सारा ध्यान पहले से ही लोकसभा चुनाव पर है। तो ऐसे में अपने कार्य और प्रदर्शन को लेकर सरकार और संगठन दोनों गंभीर हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी 9 महीने पूरानी अपनी सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली और क्षमता से पूरी तरह परिचित हो चुके हैं। जिससे उनके कार्य निर्धारण पर फैसला अब सटीक रूप से लिया जा सकता है।