Edited By ,Updated: 13 Nov, 2016 11:07 AM
भारत में चबाने वाले तम्बाकू (स्मोकलैस टोबैको) का सेवन करने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे वे कैंसर और अन्य बीमारियों की चपेट में आ रही हैं।
ग्रेटर नोएडा: भारत में चबाने वाले तम्बाकू (स्मोकलैस टोबैको) का सेवन करने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे वे कैंसर और अन्य बीमारियों की चपेट में आ रही हैं। यह बात केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा देश में चबाने वाले तम्बाकू के प्रभाव पर पहली बार जारी विस्तृत रिपोर्ट (मोनोग्राफ) में सामने आई है।
ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में चल रहे फ्रेमवर्क कन्वैंशन आन टोबैको कंट्रोल (एफ.सी.टी.सी.) के 7वें संस्करण (काप-7) में गत दिवस केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न संस्थानों के सहयोग से तैयार विस्तृत रिपोर्ट पेश की। यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है और इसमें चबाने वाले तम्बाकू की वजह से होने वाले कैंसर हृदय और मुंह की बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत में 15 साल और उससे अधिक उम्र की 7 करोड़ महिलाएं चबाने वाले तम्बाकू उत्पादों की चपेट में हैं। रिपोर्ट के अनुसार चबाने वाले तम्बाकू उत्पादों की वजह से गर्भवती महिलाओं में अनीमिया का खतरा 70 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि इसका बच्चे के वजन पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
मुंह का कैंसर विकराल समस्या
रिपोर्ट के अनुसार भारत में मुंह का कैंसर विकराल समस्या बनती जा रही है। भारत में हर साल मुंह और उदर कैंसर के 1,19,000 नए मामले सामने आ रहे हैं, इसमें से 90 प्रतिशत कैंसर के मामले किसी न किसी रूप में चबाने वाले तम्बाकू उत्पादों के सेवन से होते हैं। दूसरी तरफ भारत में प्रति वर्ष साढ़े 3 लाख से अधिक लोग चबाने वाले तम्बाकू जैसे खैनी, गुटका और पान मसाला की वजह से मौत का शिकार हो रहे हैं।
भारत चबाने वाले तम्बाकू उत्पाद का बड़ा बाजार
भारत चबाने वाले तम्बाकू उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार है। भारत में पिछले 2 दशकों के दौरान चबाने वाले तम्बाकू उत्पादों का कारोबार तेजी से फला-फूला है। हालांकि कुल टैक्स में चबाने वाले तम्बाकू का राजस्व एक प्रतिशत से भी कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह इन उत्पादों का काफी सस्ता होना है।
इन संस्थाओं के सहयोग से तैयार की गई रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) पब्लिक हैल्थ फाऊंडेशन आफ इंडिया हेलिस सेखसारिया इंस्टीच्यूट आफ पब्लिक हैल्थ सैंटर फार डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवैंशन नैशनल कैंसर इंस्टीच्यूट अमरीका के सहयोग से रिपोर्ट तैयार की गई है।
तम्बाकू उत्पादों के खिलाफ जंग में साथ आएंगे सभी नॉलेज हब
तम्बाकू उत्पादों के खिलाफ जंग में दुनिया के सभी नॉलेज हब साथ आएंगे। ये हब 180 देशों के तम्बाकू उत्पादों के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर व इसके आर्थिक नफा नुक्सान आदि की जानकारी देंगे।
नॉलेज हब के कार्यों पर विस्तार से हुई चर्चा
कन्वैंशन आन टोबैको कंट्रोल (एफ.सी.टी.सी.) के 7वें संस्करण (काप-7) में नॉलेज हब के कार्यों पर विस्तार से चर्चा हुई और इस बात पर सहमति बनी कि सारे हब आपस में जुड़ेंगे ताकि तम्बाकू उत्पादों के खिलाफ कारगर लड़ाई लड़ी जा सके। ये नॉलेज हब सभी देशों को सूचनाओं का आदान-प्रदान तो करेंगे ही साथ ही तकनीकी सहायता (टैक्निकल सपोर्ट) भी मुहैया कराएंगे। गौरतलब है कि अभी दुनिया में भारत, आस्ट्रेलिया, फिनलैंड, लेबनान, दक्षिण अफ्रीका व उरुग्वे में कुल 6 नॉलेज हब हैं।
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