Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 11:23 AM
देश की प्रतिष्ठित फूलपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को हो रहे उप चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को बहुजन समाज पार्टी के समर्थन देने की घोषणा के साथ तेजी से बदले सियासी समीकरण से भारतीय जनता पार्टी खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। फूलपुर लोकसभा के...
इलाहाबादः देश की प्रतिष्ठित फूलपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को हो रहे उप चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को बहुजन समाज पार्टी के समर्थन देने की घोषणा के साथ तेजी से बदले सियासी समीकरण से भारतीय जनता पार्टी खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। फूलपुर लोकसभा के पांचो विधानसभा क्षेत्रों फूलपुर, फाफामऊ, सोरांव, प्रतापपुर, इलाहाबाद पश्चिम और इलाहाबाद उत्तर में 19 लाख 20 हजार से अधिक मतदाता हैं।
जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पटेल मतदाता हमेशा से ही निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं। यहां 50 फीसदी ओबीसी वोट में सबसे अधिक पटेल बिरादरी के लोग आते हैं जबकि दलित 15 प्रतिशत में पासी बिरादरी की बहुल्यता है। अपर कास्ट में 15 प्रतिशत में ब्राह्मण मतदाताओं का वर्चस्व है जबकि 15 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। अन्य जातियों की संख्या 5 प्रतिशत ही है। यहां करीब 3 लाख वोट बसपा के माने जाते हैं। अब तक उपचुनाव में बसपा के तटस्थ रहने पर उसके वोटों में सभी दल सेंध लगाते लेकिन सपा को समर्थन का ऐलान के बाद अब इन्हें बांटना आसान नहीं होगा।
भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल, सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल के आपस में भिडऩे से‘पटेल बनाम पटेल’फूलपुर लोकसभा उपचुनाव जहां दिलचस्प बन गया है वहीं सपा को बसपा का समर्थन से भाजपा को आघात लगा है। निर्दलीय बाहुबली अतीक अहमद के चुनाव में उतरने से परिणाम बेहद चौंकाने वाले हो सकते है। बसपा का सपा को समर्थन मिलने से कांग्रेस प्रत्याशी मनीश मिश्र इस महाभारत में अकेले नजर आते दिख रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 1996 से 2004 तक लगातार यहां से 4 बार विजयी रही सपा अपने परंपरागत मुस्लिम, यादव और अन्य पिछड़ी जातियों के वोटों के साथ बसपा के वोटों को अपने खाते में जोड़कर 5 वी बार काबिज करने की ऐडी चोटी की जोर लगाएगी। इसके अलावा निर्दलीय अतीक अहमद के मैदान में उतरने से अबतक मोदी लहर पर सरपट दौड़ रही भाजपा की बौखलाहट बढ़ गई।