बसपा के साथ सपा का होगा फूलपुर-गोरखपुर या भाजपा फिर खिलाएगी कमल ?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Mar, 2018 11:44 AM

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों को लेकर सरर्गिमयां तेज हो गई हैं। बसपा के साथ तालमेल को लेकर सपा खासी आशान्वित दिख रही है तो भाजपा इन सीटों पर फिर कमल खिलाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोडना चाहती है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने...

लखनऊः उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों को लेकर सरर्गिमयां तेज हो गई हैं। बसपा के साथ तालमेल को लेकर सपा खासी आशान्वित दिख रही है तो भाजपा इन सीटों पर फिर कमल खिलाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोडना चाहती है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। उनके साथ केन्द्रीय मंत्रियों, नेताओं और राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्यों की टीम प्रचार में जुटी है।  सपा की दलील है कि जनता मोदी और योगी सरकार की नीतियों से परेशान है। कांग्रेस भी मानती है कि विकास को लेकर सरकार से जनता की उम्मीदें टूटी हैं। 

सपा-बसपा का तालमेल लुभाने में कितना कामयाब 
गोरखपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां करीब साढे तीन लाख मुस्लिम, साढे चार लाख निषाद, दो लाख दलित, दो लाख यादव और डेढ लाख पासवान मतदाता हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सपा-बसपा का ‘‘तालमेल’’ मतदाताओं को लुभाने में कितना कामयाब हो पाता है। 

कांग्रेस और सपा के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को हालांकि नकारा नहीं जा सकता। इसमें संदेह नहीं कि कई मतदाताओं की गोरखनाथ मठ के महंत में आस्था है। 1998 से लगातार गोरखपुर के सांसद रहे योगी चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कह चुके हैं कि भाजपा उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ल उन्हीं के प्रतिनिधि हैं।  कांग्रेस ने सुरहिता करीम को उम्मीदवार बनाया है। बताया जाता है कि समाज के हर वर्ग में उनकी अच्छी छवि है । सपा के प्रत्याशी प्रवीण निषाद हैं। उनकी मां और भाई भी मुकाबले में हैं।  उधर, कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को संसद भेजने वाली फूलपुर सीट ना सिर्फ सत्ताधारी भाजपा बल्कि विपक्षी कांग्रेस और सपा के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।   

जीएसटी की पेचीदगी से परेशान
सपा सरकार में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रहे सपा राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य राम आसरे विश्वकर्मा ने दावा किया कि फूलपुर में जनता मोदी और योगी सरकार की नीतियों से परेशान है। जहां वर्तमान प्रदेश सरकार ने अखिलेश सरकार की सभी योजनाओं को बंद कर दिया, वहीं कर्जमाफी के नाम पर किसानों के खातों में कहीं 150 रुपए तो कहीं 500 रुपए आ रहे हैं। विश्वकर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सपा सरकार ने राजभर, निषाद, बिंद, कुम्हार सहित 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र की मोदी सरकार को भेजा था जिसे खारिज किए जाने से ये जातियां नाराज हैं। दूसरी ओर व्यापारी वर्ग जीएसटी की पेचीदगी से परेशान है।  

मौजूदा सरकार से विकास को लेकर उम्मीदें थी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र विभाकर शास्त्री का कहना है कि फूलपुर की जनता को मौजूदा सरकार से विकास को लेकर जो उम्मीदें थी, वे टूट गईं। उप मुख्यमंत्री बनने से पूर्व केशव प्रसाद मौर्य ने बहुत कम अपने संसदीय क्षेत्र फूलपुर का दौरा किया, इससे भी वहां की जनता आहत है।  पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने हालांकि फूलपुर में भाजपा की निश्चित जीत का दावा करते हुए कहा कि सपा और बसपा का गठबंधन परस्पर विरोधी विचारधारा का गठबंधन है और अपना अस्तित्व बचाने के लिए यह गठबंधन किया गया है।  

उम्मीदवारों में अतीक अहमद भी शामिल
भाजपा ने कौशलेन्द्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस और सपा ने मनीष मिश्र एवं नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। 9 निर्दलीय सहित कुल 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों में माफिया से नेता बने अतीक अहमद शामिल हैं। अतीक इसी सीट से 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर विजयी हुए थे।  भाजपा के एक नेता ने बताया कि फूलपुर में पटेलों के वोट महत्वपूर्ण हैं। यहां पासी समुदाय, अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है जो भाजपा के पारंपरिक वोटर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि फूलपुर सीट पर भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य निर्वाचित हुए थे लेकिन उत्तर प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। 

समझौता ले सकता गठबंधन का रूप 
फूलपुर संसदीय क्षेत्र में फूलपुर, फाफामउ, सोरांव, अनुसूचित जाति, इलाहाबाद उत्तर और इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीटें आती हैं। भाजपा के लिए फूलपुर का महत्व इस लिहाज से भी है ​कि 2014 में पहली बार इस क्षेत्र में कमल खिला था। गोरखपुर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकसभा सांसद थे लेकिन उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा के रूख को सपा भविष्य के संभावित गठबंधन के रूप में देख रही है हालांकि भाजपा का मानना है कि यह मजबूरी में उठाया हुआ कदम है ।   बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि उनके पार्टी कार्यकर्ता उस उम्मीदवार को वोट दें जो भाजपा उम्मीदवार को हरा सकें।  बसपा के इस निर्णय से सपा काफी आशान्वित दिख रही है। उसका मानना है ​कि आज का यह समझौता कल एक गठबंधन का रूप ले सकता है।       

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!