Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 01:00 PM
फूलपुर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा होते ही लोगों के दिलों में एक फिर वह पुरानी याद ताजा हो गई, जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भीष्म प्रतिज्ञा ‘चुनाव प्रचार नहीं करूंगा’ को समाजवाद के पुरोधा डॉ. राममनोहर लोहिया ने 1962 लोकसभा...
इलाहाबाद: फूलपुर सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा होते ही लोगों के दिलों में एक फिर वह पुरानी याद ताजा हो गई, जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की भीष्म प्रतिज्ञा ‘चुनाव प्रचार नहीं करूंगा’ को समाजवाद के पुरोधा डॉ. राममनोहर लोहिया ने 1962 लोकसभा चुनाव में इस सीट से मैदान में उतरकर तुड़वा दी थी। वर्ष 1962 के लोकसभा चुनाव में डॉ. लोहिया फूलपुर सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी थे। पर्चा दाखिल करने से पहले लोगों ने उन्हे इस सीट से चुनाव न लड़ने की सलाह दी थी। लोगों का मानना था कि नेहरू को चुनाव में मात देना मुश्किल है। इसलिए किसी दूसरी सीट से उनके लिए चुनाव लड़ना बेहतर होगा।
डॉ. लोहिया ने कहा कि जीत-हार कोई मतलब नहीं है। उनका मकसद नेहरू रूपी चट्टान में दरार डालना है। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि मेरी हार तो निश्चित है। डॉ. लोहिया के चुनाव प्रचारक रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजवादी (सपा) नेता विनोद चंद्र दुबे बताते हैं कि डा. लोहिया जब पंडित नेहरू के खिलाफ मैदान में उतरे तो फूलपुर में एक अलग ही तरह की बयार बह चली। नेहरू जी ने कहा कि अच्छा लग रहा है कि तुम मेरे खिलाफ मैदान में हो, वादा करता हूं, मैं एक बार भी यहां चुनाव में प्रचार करने नहीं आऊंगा।
उन्होंने बताया कि जवाहर लाल नेहरू का चुनाव प्रचार में नहीं आने का यह वादा महाभारत में कृष्ण और भीष्म की याद को ताजा कर गया था, जिसमें पांडव की तरफ से अर्जुन के सारथी कृष्ण ने कहा था कि वह युद्ध में कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं उठाएंगे। भीष्म पितामह ने बाणों से पांडव की सेना को धराशायी करना शुरू कर दिया। तब अर्जुन की अधीरता देख कृष्ण ने गुस्से में रथ का पहिया निकाल लिया। भीष्म धनुष-बाण नीचे रख हाथ जोड़कर शांत चित्त खडे हो गए। यह देख कृष्ण सोच में पड़ गए। भीष्म ने उनसे कहा कि प्रभु मैंने भी तय किया था कि युद्ध में आप को अस्त्र उठाने पर मजबूर कर दूंगा, मुझे क्षमा करें।