ये कैसी आस्था! ​पेड़ पर उभरी गणेश की आकृति देखने उमड़े भक्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Mar, 2018 06:08 PM

what kind of faith devotees looking at the shape of ganesha on the tree

आगरा के सिकंदरा स्मारक पर बुधवार गणपति बप्पा के जयकारे लगने से वहां का पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। दरअसल थाना सिकन्दरा क्षेत्र स्थित अकबर टॉम्ब (सिकन्दरा) स्मारक में पेड़ में उभरी एक आकृति को एक पर्यटक द्वारा गणेश जी की आकृति बताकर पूजा अर्चना शुरू कर...

आगराः आगरा के सिकंदरा स्मारक पर बुधवार गणपति बप्पा के जयकारे लगने से वहां का पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। दरअसल थाना सिकन्दरा क्षेत्र स्थित अकबर टॉम्ब (सिकन्दरा) स्मारक में पेड़ में उभरी एक आकृति को एक पर्यटक द्वारा गणेश जी की आकृति बताकर पूजा अर्चना शुरू कर दी गई। जिसके बाद पूरे क्षेत्र में अफवाह फैल गई और दर्जनों लोगों ने वहां पूजा अर्चना शुरू कर दी। 
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अफवाह उड़ाने वाला पर्यटक तो वहां पूजा पाठ कर चला गया पर लोगों की भीड़ को रोकने में पुरातत्व विभाग की हालत बुरी हो गई और इसके बाद भी वो लोगों को वहां पूजा करने से रोक नहीं पाए। स्थानीय लोगों के अनुसार इंदौर से आगरा घूमने आए एक पर्यटक रामचन्द्र ने सुबह सिकन्दरा स्मारक आकर एक पेड़ पर पूजा अर्चना शुरू की। पूछने पर उसने अन्य लोगों को बताया कि रात उसे यहां गणपति के होने का सपना आया था। पर्यटक के अनुसार सुबह यहां आने पर उसी जगह भगवान गणेश की वैसी आकृति उसे दिखाई दी है। कुछ ही देर में वहां पर्यटकों और स्थानीय लोगों की भीड़ लग गई। पेड़ के तने में बनी भगवान गणेश की आकृति को देखकर लोग पूजा पाठ करने लगे। 

मौके पर आए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने पहले लोगों को पूजा पाठ करने से रोकने की कोशिश की। बाद में भीड़ और आस्था का मामला देख कर्मचारी पीछे हट गए। सिकन्दरा स्मारक में लगे इस पेड़ में भगवान गणेश की प्रतिमा उकेरने की बात जंगल मे आग की तरह फैल गई है। आस- पास के गांवों और शहर के तमाम क्षेत्रों से लोग यहां पूजा करने आ रहे हैं। रामकृष्ण मिशन मथुरा से आए पंडित मनोहर का कहना है कि वो घूमने आए हैं और यहां पेड़ से कुछ सूंड जैसा निकला है। यह अपनी अपनी आस्था है कि लोग उसे क्या मानें।
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वहीं दिल्ली से परिवार सहित घूमनें आए मिस चैटर्जी का कहना है कि ऐसा उनके सामने पहली बार हुआ है। इस बारे में मनोविज्ञानी आनन्द कुमार का कहना है कि यह आपकी सोच पर डिपेंड है। ठीक उसी तरह जैसे बादलों में लोग अलग आलग आकृतियां देखते हैं। कई बार ऐसा होता है कि पेड़ पत्तियों और फलों कि आकृति हल्का सा भगवान से मिलने पर या अविकसित बच्चे पैदा होने पर लोग इस तरह अंधविश्वास में पूजा पाठ करने लगते हैं। इसका सत्य से कोई सरोकार नही है बस इसे आप मन का भ्रम कह सकते हैं। फिलहाल इस प्रकरण से पुरातत्व विभाग का कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।


 

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