यूपी चुनाव: अमेठी में एक राजा की दो रानियां आमने-सामने

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2017 01:36 PM

up polls one king two queens face to face in amethi

जहां उत्तर प्रदेश चुनाव में किसी दूसरे मुद्दे से ज्यादा अखिलेश-मुलायम का झगड़ा हावी रहा, वहीं ऐसा ही संघर्ष अमेठी राजघराने में भी मचा हुआ है। इस बार एक राजा की दो...

अमेठी: जहां उत्तर प्रदेश चुनाव में किसी दूसरे मुद्दे से ज्यादा अखिलेश-मुलायम का झगड़ा हावी रहा, वहीं ऐसा ही संघर्ष अमेठी राजघराने में भी मचा हुआ है। इस बार एक राजा की दो रानियां राजमहल और राजनैतिक विरासत के लिए जंग कर रहीं हैं।

संजय सिंह की दोनों पत्नियां एक ही सीट के लिए उतरी चुनाव मैदान
अमेठी राजपरिवार के राजा संजय सिंह की दोनों पत्नियां यूपी विधानसभा चुनाव में आमने-सामने हैं। बीजेपी ने जहां संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह को टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है, वहीं कांग्रेस ने उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह को टिकट दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में अमिता सिंह को हराकर सपा के विवादास्पद कैबिनेट मिनिस्टर गायत्री प्रजापति  ने इस सीट पर कब्जा किया था। इस बार गठबंधन में भी यह सीट समाजवादी के कोटे में गई है। लेकिन अमिता सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ाने की धमकी के बाद संजय सिंह के दबाव में हाईकमान को उन्हें टिकट देना पड़ा।
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संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह पहली बार लड़ेंगी चुनाव 
इस सीट पर असली लड़ाई एक राजा की दो रानियों के बीच है। गरिमा सिंह को संजय सिंह ने 1995 में तलाक दे दिया था। उसके बाद 19 साल तक उन्हें राजमहल में घुसने  नहीं दिया गया। गरिमा सिंह अब अपने स्वाभिमान के लिए पहली बार चुनाव मैंदान में उतरी हैं। जबकि अमिता सिंह विधायक के साथ-साथ मंत्री भी रह चुकी हैं। राजपरिवार की विरासत को लेकर चल रहे इनके संघर्ष में परिवार बंट चुका है। संजय सिंह अपनी दूसरी पत्नी के साथ मजबूती से डटे हुए हैं, जबकि उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह के साथ उनका बेटा अनंत विक्रम है। संजय सिंह को कांग्रेस में प्रियंका गांधी का आशीर्वाद प्राप्त है। उन्हीं के चलते राजा संजय सिंह राज्यसभा सदस्य बनें और फिर यूपी में कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष बनें

अपने गढ़ अमेठी को कांग्रेस रखना चाहती है सुरक्षित
गरिमा सिंह राजपरिवार और राजमहल पर अपने हक की लड़ाई लड़ रहीं हैं। उनके पति की दूसरी शादी के बाद जनता की सहानुभूति उनके पक्ष में है। नतीजा जो भी हो, लेकिन जिस तरह यूपी का चुनाव त्रिकोणीय है। उसी तरह अमेठी में भी मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है। अपने गढ़ अमेठी को कांग्रेस किसी भी कीमत पर सुरक्षित रखना चाहती। तो दूसरी बीजेपी इसमें किसी भी कीमत पर सेंध लगाने पर आमादा है। इन दोनों रानियों की लड़ाई में समाजवादी पार्टी अपने प्यादे की जीत पक्की मानकर चल रही है। सपा को उम्मीद है कि राजपरिवार के वोट बंटने से सीधा फायदा उसे ही होगा है।

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