Edited By ,Updated: 28 Feb, 2017 03:54 PM
आजमगढ़ को सपा के सरंक्षक मुलायम सिंह का गढ़ माना जाता है। लेकिन सपा में मचे पारिवारिक घमसान के बाद से अखिलेश यादव की ताजपोशी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में हो चुकी है...
आजमगढ़ः आजमगढ़ को सपा के सरंक्षक मुलायम सिंह का गढ़ माना जाता है। लेकिन सपा में मचे पारिवारिक घमसान के बाद से अखिलेश यादव की ताजपोशी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में हो चुकी है। अब के चुनावों में मुख्यमंत्री के लिए मुलायम यादव के इस गढ़ को बचाए रखने की चुनौती भी सामने आ खड़ी हुई है।
3 साल पहले मुलायम यहीं से लड़े थे चुनाव
बता दें कि आज से करीब 3 साल पहले लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वांचल में नरेंद्र मोदी लहर को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह ने आजमगढ़ से चुनाव लड़ा था। आज एक बार फिर चुनाव का मौसम है और यहां छठे चरण के तहत 4 मार्च को मत डाले जाएंगे। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी के लिए भी परिस्थितियां एकदम जुदा हैं। क्योंकि पारिवारिक कलह के बाद से अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के रिश्तों में जो कड़वाहट आ गई है, उससे जनता भी भली-भांति परिचित है। और अबकी बार अखिलेश यादव की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो किस प्रकार इस गढ़ पर अपना कब्जा बनाए रखते है।
यादव और मुस्लिम आबादी पर दांव
यादव और मुस्लिम बहुल आजमगढ़ इलाके में 2012 में 10 में से 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा था। पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त भी मोदी लहर के बावजूद आजमगढ़ में मुलायम सिंह यादव अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे।
इस बार भी समाजवादी पार्टी ने विधानसभा में 3 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कोशिश है कि यादव-मुस्लिम गठबंधन के दम पर इस बार भी सपा के गढ़ को बरकरार रखा जाए।