सोनिया नहीं अब राहुल होंगे कांग्रेस के स्टार प्रचारक

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 01:54 PM

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार कांग्रेस की स्टार प्रचारक नहीं होंगी। दो दशक से पार्टी अध्यक्ष रहते हुए पहली बार ऐसा हुआ है कि...

लखनऊ: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार कांग्रेस की स्टार प्रचारक नहीं होंगी। दो दशक से पार्टी अध्यक्ष रहते हुए पहली बार ऐसा हुआ है कि देश की राजनीति की भावी दिशा तय करने वाले पंजाब, यू.पी. समेत पांच राज्यों के विधानसभाओं के अहम चुनाव प्रचार से सोनिया गांधी से दूरी बनाए रखेंगी।

राहुल गांधी ही पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका में
कांग्रेस की चुनाव रणनीति संभाल रहे एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि अब राहुल गांधी ही पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका में हैं क्योंकि सोनिया गांधी अपने गिरते स्वास्थ्य की वजहों व डॉक्टरों की सलाह पर चुनाव प्रचार का बोझ ढोने की स्थिति में नहीं हैं।सोनिया के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के कार्यक्रम पर कांग्रेस आलाकमान ने आधिकारिक चुप्पी साधे रखी है। लेकिन दस-जनपथ के निकट सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि स्वास्थ्य खराब होने की वजह से इस बार सोनिया गांधी पंजाब, यू.पी., गोवा, उत्तराखंड व मणिपुर में पार्टी चुनाव प्रचार नहीं करेंगी। उनकी जगह अब राहुल गांधी ही चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे।

सोनिया व राहुल का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया
कांग्रेस ने इस बात की भी पुष्टि कर दी है कि पंजाब में आरंभ हो चुकीं चुनावी रैलियों में सोनिया का कार्यक्रम नहीं रखा गया है। ज्ञात रहे कि कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा ने पार्टी की ओर से 17 जनवरी को पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जो पत्र लिखा है उसमें सोनिया गांधी व राहुल का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया है लेकिन कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि चूंकि सोनिया अभी पार्टी अध्यक्ष पद पर आसीन हैं, ऐसी दशा में उनका नाम निमित के तौर पर आयोग व राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारी को भेजा जाना रूटीन प्रकिया का हिस्सा है।

राहुल गांधी ही अब पार्टी के कर्ताधर्ता
इस बार चुनाव प्रचार से दूर रहने की सोनिया गांधी की अनिच्छा के बारे में पूछे जाने पर उनके बहुत ही विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि कई महीने पहले सोनिया ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बताया था कि 70 साल की उम्र पूरी करने के बाद वे राजनीति में सक्रिय नहीं रहना चाहतीं, ऐसी दशा में सोनिया ने पार्टी के सारे दायित्वों व राजनीतिक झंझटों से दूर रहने का फैसला ले लिया है। बता दें कि 11 नवंबर को नोट बंदी के विरोध में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित जन वेदना रैली से भी सोनिया ने किनारा किया। माना जा रहा है कि सोनिया ने  पार्टी के सभी दिग्गजों को यह संदेश पहले ही दे दिया है कि राहुल ही अब पार्टी के कर्ताधर्ता हैं तथा जो भी पार्टी की लाइन व दिशा तय होनी है उसकी बाबत वे खुद नहीं बल्कि राहुल गांधी ही फैसला करेंगे।

पंजाब के बाद सबसे ज्यादा चिंता यूपी के कांग्रेसियों को
विधानसभाओं के चुनाव प्रचार से दूर रहने के सोनिया गांधी के कदम से पंजाब के बाद सबसे ज्यादा चिंता यू.पी. के कांग्रेसियों को है। पार्टी के राजनीतिक मामलों की कोर कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक हाल में सोनिया ने जब चुनाव प्रचार से दूर रहने की इच्छा जताई थी तो उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल व कुछ दूसरे करीबी नेताओं ने उन्हें यह समझाने की कोशिश की है कि जब तक वे पार्टी अध्यक्ष पद पर हैं तब तक पार्टी जनों का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए प्रतीकात्मक तौर पर ही सही, उन्हें कुछ चुनावी रैलियों में शिरकत की कोशिश करनी चाहिए। सपा से गठबंधन की कसरत पूरी होने के बाद कांग्रेस के कुछ रणनीतिकार इस कोशिश में लगे हैं कि मौसम ठीक होने के बाद यू.पी. में कम से कम एक ऐसी बड़ी रैली में सोनिया गांधी भाग लें तथा मोदी सरकार की नीतियों पर हमला बोलें इससे सपा के साथ गठबंधन के पक्ष में मतदाताओं को वोट डालने की अपील करने से नया माहौल खड़ा करने में मदद मिलेगी।

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