माया के साथ डॉन की वापसी, अंसारी 5वीं बार जेल से लड़ेंगे चुनाव

Edited By ,Updated: 30 Jan, 2017 10:50 AM

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चढ़ गुंडों की छाती पर, बटन दबाओ हाथी पर के नारों के साथ पिछले विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मायावती की पार्टी बसपा ने इस बार माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय करके विपक्षी दलों को...

लखनऊ: चढ़ गुंडों की छाती पर, बटन दबाओ हाथी पर के नारों के साथ पिछले विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मायावती की पार्टी बसपा ने इस बार माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय करके विपक्षी दलों को एक नया नारा गढऩे का मौका दे दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने बसपा को एक नया नारा गढऩे का सुझाव दिया है  ‘अब गुंडे चढ़ गए हाथी पर, गोली मारेंगे छाती पर’। इस बार का यू.पी. चुनाव अंसारी के लिए पांचवां चुनाव होगा, जब वह जेल के अंदर से चुनाव लड़ेगा। मुख्तार अंसारी पिछले दशक से जेल में हैं। अंसारी सपा और बसपा के बीच घूमते रहे हैं, फिर निर्दलीय चुनाव जीता और रहे हैं अपनी पार्टी बनाई और अब फिर बसपा में आ गए हैं।

मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद को टिकट देने से किया इंकार
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद को टिकट देने से इन्कार करके पिछले चुनाव को दोहराने की कोशिश की है, जब उन्होंने डी.पी. यादव को टिकट नहीं दिया था और जीत हासिल की थी। अंसारी पिछले चार बार से मऊ से जीत रहे हैं और पिछले दो बार के लोकसभा चुनाव में बहुत कम अंतर से हार गए थे। पिछली लोकसभा चुनाव के समय घोसी से जब उन्होंने पर्चा दाखिल किया था तो उनके ऊपर 15 गंभीर मामले दर्ज थे। इनमें हत्या के चार मामले हैं जिनमें भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का मामला भी शामिल था। इसके अलावा हत्या के प्रयास के मामले के अलावा कई अन्य आपराधिक मुकद्दमे उनके ऊपर चल रहे हैं। कृष्णानंद राय की हत्या का मामला अभी तीस हजारी विशेष अदालत में चल रहा है और यह अंतिम दौर में है। राय ने 2002 में मुख्तार अंसारी के भाई अफजल अंसारी को हराया था।

हाल ही में बसपा में शामिल हुए थे अंबिका चौधरी
दरअसल, कांग्रेस-सपा गठबंधन के बाद बसपा ने मुस्लिम वोट को अपने पक्ष में करने के लिए मुख्तार अंसारी को अपने पक्ष में किया। मायावती को अम्बिका चौधरी ने मुख्तार को शामिल करने के लिए मनाया था। बता दें कि अम्बिका चौधरी हाल ही में सपा को छोड़कर बसपा में शामिल हुई हैं। अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा के साथ पिछले साल हुए विलय के बाद ही पार्टी में कलह शुरू हो गई क्योंकि अखिलेश यादव उन्हें सपा में लेना नहीं चाहते थे। अफजाल अंसारी ने पिछले अक्तूबर में कहा था कि मुख्तार अंसारी और सिगतुल्ला अंसारी सपा की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन स्थितियां बदल गईं और अब अंसारी बंधु बसपा के साथ हैं, जिससे समीकरण कुछ बदल से गए हैं।

पूर्वी यू.पी. में रहेगा प्रभाव
कौमी एकता दल का बसपा में विलय के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदल सा गया है। गाजीपुर की 7 में से 6 विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा है, जबकि एक सीट पर कौमी एकता दल का विधायक है। बलिया में भी 5 विधानसभा सीटों से सपा के विधायक हैं, जबकि मऊ के 4 में से 2 और आजमगढ़ के 10 में से 9 विधायक सपा के हैं। इस चुनाव में अंसारी बंधु अखिलेश यादव पर हमला करेंगे और मुस्लिम वोट को उनसे हटाने की कोशिश होगी।  अब मायावती खुले तौर पर मुसलमानों से बसपा के पक्ष में वोट देने की अपील करेंगी। सिब्गतुल्ला अंसारी का कहना है कि वह पूर्वी उत्तर प्रदेश की चालीस सीटों पर प्रभाव डाल सकते हैं।

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