Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 12:34 PM
धर्म का काम तोड़ना नहीं बल्कि सभी को जोड़ने का है, इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सामने आया। जहां एक ग्राम प्रधान समेत कुछ हिन्दुओं ने आर्थिक रूप से कमजोर एक मुस्लिम परिवार की बेटी की शादी में मदद कर अनोखी मिसाल पेश की है।
बहराइच: धर्म का काम तोड़ना नहीं बल्कि सभी को जोड़ने का है, इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सामने आया। जहां एक ग्राम प्रधान समेत कुछ हिन्दुओं ने आर्थिक रूप से कमजोर एक मुस्लिम परिवार की बेटी की शादी में मदद कर अनोखी मिसाल पेश की है।
ग्राम पंचायत बोझिया के बढ़हिनपुरवा गांव के निवासी शमशुद्दीन पेशे से मजदूर है। उन्होंने अपनी बेटी सबिस्ता खातून की शादी संतकबीरनगर जिले के बढ़ैया माफी सेमरियांवा गांव निवासी इसहाक खान के साथ तय की थी। शनिवार को विवाह होना था लेकिन शमसुद्दीन के पास बेटी का विवाह करने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होने ग्राम प्रधान शिवसागर से मदद मांगी। प्रधान ने विवाह में सहयोग देने का वादा किया। इस बीच एक शिक्षक और कुछ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों भी मदद के लिए आगे आईं।
कार्यक्रम के अनुसार शनिवार को बारात आई। मौलवी ने सबिस्ता खातून का निकाह पढ़ा। इसके बाद लोगों ने बारातियों को नाश्ता व खानापानी खिलाकर आव भगत की गई। दहेज का सामान भी दिया गया और सबिस्ता खातून को उसके शौहर इसहाक खान के साथ रुखसत किया गया।
ग्राम प्रधान शिवसागर ने बताया कि इस शादी में प्राथमिक विद्यालय के बोझिया के शिक्षक अजय यादव व पूर्व माध्यमिक विद्यालय बोझिया के शिक्षकों ने कपड़े तथा बर्तन दिए, वहीं कृष्ण लघु माध्यमिक विद्यालय छोटी बोझिया के प्रबंधक दिवाकर यादव ने दहेज में अलमारी दी। बोझिया गांव के 4 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने कुर्सी व मेज दहेज में दिया। हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करने वाले ग्राम प्रधान व शिक्षकों के इस कार्य की इलाके के चारों ओर चर्चा हो रही है।