Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 02:15 PM
महाशिवरात्रि पूरे भारतवर्ष में बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन भक्तजन अपने प्रिय भोले को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं शिवलिंग पर जल, दूध और धतूरा आदि चढ़ाते हैं। यह पर्व को शिव और देवी पार्वती के शुभ-विवाह के अवसर पर मनाया जाता है।...
वाराणसीः महाशिवरात्रि पूरे भारतवर्ष में बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन भक्तजन अपने प्रिय भोले को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं शिवलिंग पर जल, दूध और धतूरा आदि चढ़ाते हैं। इस पर्व को शिव और देवी पार्वती के शुभ-विवाह के अवसर पर मनाया जाता है। शिवरात्रि का यह महापर्व न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल फाल्गुन मास में आता है, जो सामान्यतः अंग्रेजी महीने के फरवरी या मार्च में पड़ता है।
इसी कड़ी में धर्म की नगरी काशी में भी भगवान भोलेनाथ का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि नजदीक आने के साथ ही प्रशासनिक महकमा भी इसे लेकर तैयारियों में जुट गया है। आगामी 13 फरवरी महाशिवरात्रि पर लाखों की भीड़ को दृष्टिगत रखते हुए महाशिवरात्रि की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि के पर्व पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन करने आने वाले भक्तों के लिए श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद् ने खास दिशा-निर्देश जारी किया है।
भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के तट पर विद्यमान है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के दिन देश-विदेश के श्रद्धालु बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन करने वाराणसी पहुंचते हैं। फाल्गुन मास के कृष्ण चतुर्दशी को मनाए जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व इस वर्ष 13 फरवरी को मनाया जा रहा है।
वहीं इस संदर्भ में बाबा श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद् के सदस्य प्रसाद दीक्षित ने बताया कि इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 13 और 14 फरवरी को हो रहा है, लेकिन महाशिवरात्रि पूर्ण रात्रि में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी को रात्रि 10 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ हो रहा है, जो 14 फरवरी तक रहेगा। इस वजह से यह पर्व 13 फरवरी को मनाया जा रहा है। क्योंकि शिवरात्रि का मतलब ही रात्रि में पूजन करना होता है।
बता दें कि महाशिवरात्रि के दिन बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से पहले भक्त मां-गंगा के तट पर गंगा जल से स्नान करते हैं। उसके बाद मंदिर में श्रद्धालु अपने साथ लाए हुए रोली, मौली, पान, सुपारी, चावल, दूध, दही, घी, शहद, कमल गटटे, धतूरा, बेलपत्र, विजया, नारियल, प्रसाद, फल आदि भगवान शिवजी को अर्पित करते हैं। बताया जाता है कि बेल पत्र के साथ भांग भगवान् भोले को अत्यंत प्रिय है। इस वजह से महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालु बेलपत्र और दूध के साथ भांग भोले बाबा(शिवलिंग) पर चढ़ाते हैं।