Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Dec, 2017 02:00 PM
उत्तर प्रदेश में वीरांगना नगरी झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेले’ के समापन दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन में शिरकत करने...
झांसी: उत्तर प्रदेश में वीरांगना नगरी झांसी के बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेले’ के समापन दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन में शिरकत करने आये आम आदमी पार्टी(आप) नेता और जाने माने कवि कुमार विश्वास अधिकतर कविताओं में अपना राजनीतिक दर्द ही बयां करते नजर आये।
विश्वविद्यालय परिसर में ‘एक संगीतमय शाम कुमार विश्वास के नाम’ से कल देर रात तक चले कवि समेलन में युवाओं की धड़कन माने जाने वाले कुमार विश्वास ने अपना राजनीतिक दर्द बयां करते हुए कहा ‘वे बोले दरबार सजाओ वे बोले जयकार लगाओ, वे बोले हम जितना बोले तुम केवल उतना दोहराओ। वाणी पर इतना अंकुश कैसे सहते, हम कबीर के वंशज चुप कैसे रहते।’
मंच पर आते ही विश्वास ने राजनीतिक दलों पर तंज कसने के साथ युवाओं को अपने साथ जोड़ते हुए कहा ‘प्यार का आचरण व्याकरण है अलग, प्यार की न में हां का मजा लीजिए।’
उन्होंने राजनीतक दलों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘यशस्वी सूर्य अंबर चढ रहा है तुमको सूचित हो। अवाचित पत्र मेरे जो कभी खोले नहीं तुमने समूचा विश्व उनको पढ़ रहा है तुमको सूचित हो।’ अगली कविता पाठ कुमार विश्वास ने कुछ यूं पढ़ी ‘सियासत में तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता, तेरी शर्तों पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता। भले साजिश के गहरे दफन मुझको कर भी दो, पर मैं सृजन का बीज हूं मिट्टी में जाया हो नहीं सकता।’
कार्यक्रम के दौरान बुंदेलखंड की विख्यात साहित्य परस्पर को याद करने के साथ भगत सिंह पर पंजाबी मे लिखी कविता का भी कुमार ने पाठ किया। युवाओं की जबरदस्त मांग पर मंच से कुमार विश्वास ने उसी कविता का पाठ किया जिसके कारण उन्हें जबरदस्त लोकप्रियता हासिल हुई। कोई दीवाना कहता है के पाठ के साथ ही युवा उनके साथ गाते नजर आये।
यूं तो पंडाल में युवाओं का उत्साह कार्यक्रम के दौरान काफी रहा लेकिन विश्वविद्यालय में कुमार विश्वास को सुनने के लिए जितने बड़े पैमाने पर युवाओं का रेला जमा होता है उसको देखते हुए कल के कार्यक्रम की रंगत कम ही रही। कविता पाठ के जरिए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो कविताएं वह सुना रहे हैं उनको सुनकर बिना कुछ बोले ही लोग समझ जायेंगे कि राजनीति में उनके साथ पिछले कुछ समय से क्या हो रहा है। उनकी कविताओं पर युवाओं की वाहवाही को भी उन्होंने राजनीतिक रंग देते हुए कहा कि जो उन्हें ना समझ बताते हैं वे आयें और देखें कि कवि सम्मेलन में लोग बिना कुछ कहे ही उनकी बात को किस तरह समझ रहे हैं।