साक्षी मलिक की राह पर चलीं मुजफ्फरनगर की तीन बेटियां

Edited By ,Updated: 15 Oct, 2016 03:53 PM

sakshi malik walked the path of the three daughters of muzaffarnagar

‘कौन कहता है आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। तरह तरह के ताने सुनने वाली गांव पचेंडा की 3 पहलवान बेटियों ने स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर ताना देने वालों की जुबां बंद कर दी है।

मुजफ्फरनगर/बुढ़ाना: ‘कौन कहता है आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। तरह तरह के ताने सुनने वाली गांव पचेंडा की 3 पहलवान बेटियों ने स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर ताना देने वालों की जुबां बंद कर दी है। अब तीनों पहलवान बेटियां साक्षी मलिक की राह पर चल पड़ी हैं, इनका सपना देश के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का है। 

मुजफ्फरनगर के गांव पचेंडा निवासी आरोही चौधरी, रिया चौधरी और मिनाक्षी चौधरी को पहलवानी का शौक लगा तो इन्हें ग्रामीणों की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। आलोचनाओं से कदम पीछे नहीं हटाकर, बल्कि उन्हें अपनी ताकत बनाकर तीनों बेटियों ने स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत लिए हैं। 

देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतने का है इनका सपना 
मीनाक्षी चौधरी ने पंजाब केसरी को बताया कि भारत की पहली महिला पहलवान सोनिका कालीरमन जो कि मशहूर पहलवान चंदगीराम की बेटी है, उन्होंने देश की लड़कियों को बताया कि वह भी लड़कों से कुछ कम नहीं हैं। उनसे ही हर महिला पहलवान को ताकत मिलती है। मीनाक्षी ने बताया कि उसने 3 बार महिला स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लिया है और उसने 2 कांस्य पदक जीते हैं।

इसके अलावा आरोही चौधरी ने बताया कि वह 2 वर्ष से पहलवानी कर रही हैं। उसने 4 बार स्टेट कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लिया है और 3 कांस्य पदक जीत लिए हैं। आरोही ने बताया कि वह साक्षी मलिक को अपना आदर्श मानती हैं और उसने अब अपना लक्ष्य ओलंपिक बना लिया है। आरोही ने कहा कि वह कक्षा 9 की छात्रा है और गांव में ही स्थित युधिष्ठिर कुश्ती अखाड़ा में कुश्ती का अभ्यास करती है। आरोही का कहना है कि उन्हें यहां मिट्टी में अभ्यास करना पड़ता है और चैंपियनशिप में कुश्ती मैट पर होती है। इसलिए उन्हें वहां दिक्कत होती है। उसने कहा कि आगे बढऩे के लिए उन्हें सुविधाओं की आवश्यकता है। 

इस बारे में युधिष्ठिर कुश्ती अखाड़ा के संचालक व खलिफा चौधरी युधिष्ठिर ने बताया कि उनके अखाड़े में 55 पहलवान लड़के और 4 लड़कियां हैं। हाल ही में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने युधिष्ठिर अखाड़ा को गोद ले लिया है। अखाड़े से 22 खिलाडिय़ों का चयन हुआ है, जिन्हें अखाड़े में ही ट्रेनिंग दी जाएगी।

अखाड़े के मीडिय़ा प्रभारी नितिन ने बताया कि इंटरनेशनल पहलवान दिव्या सैन निवासी पुरबलियान ने भी युधिष्ठिर कुश्ती अखाड़े से ही कुश्ती के दाव-पेंच सीखे थे। उसके बाद 2015 की जूनियर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने बताया कि मशहूर पहलवान अनुज कुमार इसी अखाड़े से कुश्ती के दाव-पेंच सीख चुके हैं, जिन्होंने कामनवेल्थ व ओलंपिक में देश का नाम रोशन कियाहै। 

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