Edited By ,Updated: 20 Oct, 2016 07:40 PM
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने पर्यावरण प्रदूषण को मानव जीवन के लिये गंभीर संकट बताते हुये आज कहा कि इसके निराकरण के लिये आमजन की सहभागिता बेहद जरूरी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने पर्यावरण प्रदूषण को मानव जीवन के लिये गंभीर संकट बताते हुये आज कहा कि इसके निराकरण के लिये आमजन की सहभागिता बेहद जरूरी है। भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, द्वारा आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी ‘पर्यावरण प्रदूषण कारण एवं निवारण’ के उद्घाटन अवसर पर नाईक ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण मानव जीवन के लिये गंभीर संकट है। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण एवं रसायनों के प्रयोग से प्रदूषण बढ़ा है। हमें विकास के साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण ढूढऩा और निराकरण के उपाय बताने की जिमेदारी वैज्ञानिकों की है। वैज्ञानिक अपने ज्ञान को व्यवहार में लायें। यदि वैज्ञानिक ज्ञान लाइब्रेरी तक सीमित रहेगा तो उसका लाभ आम आदमी को नहीं मिलेगा। नाईक ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान अत्यन्त गंभीर विषय है। छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर बड़े विषयों की समस्या को ठीक किया जा सकता है। स्वच्छता अभियान में आम आदमी की भागीदारी तथा विचार-विमर्श आवश्यक है। नदियों से लेकर समुद्र का प्रदूषण मछलियों एवं अन्य जलचरों के लिये नुकसान देह है। गंगा के प्रदूषण का कारण मनुष्य स्वयं है इसलिये उसको स्वच्छ करने का विचार भी सबको मिलकर करना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के निवारण में आम आदमी की सह-भागिता आवश्यक है। आम आदमी जितना इस विषय को समझेगा उतना ही लाभ समाज को मिलेगा। वैज्ञानिक अपनी राय और सुझाव केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार को दें ताकि जनता की सुरक्षा के लिये जागरूक प्रहरी के रूप में काम किया जा सके। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए उन्होंने पेट्रोल में मिलावट रोकने और पीएनजी एवं सीएनजी का प्रयोग पर्यावरण की सुरक्षा की ²ष्टि से करवाने का निर्णय लिया था। उन्होंने दीपावली की बधाई देते हुए कहा कि प्रदूषण मुक्त दीपावली पर विचार करें। संगोष्ठी में निदेशक प्रो0 आलोक धवन डॉ0 ए0के0 पाण्डेय और इंजीनियर अल्ताफ हुसैन समेत कई वैज्ञानिक मौजूद थे। निदेशक ने राज्यपाल को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।