Edited By ,Updated: 05 Jan, 2016 02:23 PM
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यूपी में राजनीतिक दलों का 'दोस्ताना' जारी है। राहुल गांधी के गढ़ अमेठी में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी ने जहां एसपी के समर्थन में सरेंडर कर दिया, वहीं सहारनपुर में बीएसपी समर्थित प्रत्याशी को एसपी ने वॉकओवर दे दिया।
अमेठी: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यूपी में राजनीतिक दलों का 'दोस्ताना' जारी है। राहुल गांधी के गढ़ अमेठी में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी ने जहां एसपी के समर्थन में सरेंडर कर दिया, वहीं सहारनपुर में बीएसपी समर्थित प्रत्याशी को एसपी ने वॉकओवर दे दिया। सोमवार को नाम वापसी के बाद 38 जिलों में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं।
74 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पहली जनवरी को शुरू हुए थे। पहले ही दिन 33 सीटों पर एसपी समर्थित प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे। इसमें 31 सीटों पर किसी ने एसपी प्रत्याशियों के विरोध में पर्चा ही नहीं भरा था जबकि दो सीटों पर विरोधी प्रत्याशियों का पर्चा रद्द होने के चलते एसपी प्रत्याशी का रास्ता साफ हो गया था। सोमवार को नाम वापसी का दिन था। सबसे आश्चर्यजनक घटनाक्रम अमेठी में रहा। यहां कांग्रेस के समर्थन से लडऩे का दावा कर रही प्रत्याशी कृष्णा चौरसिया ने आखिरी दौर में अपना पर्चा वापस ले लिया।
कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारी भी इस कदम से हैरान थे। इसके बाद एसपी की शिवकली मौर्या निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दी गईं। दूसरी ओर सहारनपुर में बीएसपी समर्थित प्रत्याशी तसलीम बानो के खिलाफ मंजू सिंह एसपी-बीजेपी के समर्थन का दावा कर रही थीं लेकिन उन्होंने भी पर्चा वापस ले लिया। संतकबीर नगर, ललितपुर और बागपत में भी अन्य दलों के समर्थित प्रत्याशियों की पर्चा वापसी ने एसपी प्रत्याशियों की जीत की राह खोल दी।
बेटे-बहुओं की चांदी
निर्विरोध चुने गए जिला पंचायत अध्यक्षों में अधिकतर मंत्रियों-नेताओं के परिवार से हैं। बस्ती से राजकिशोर सिंह का बेटा तो आजमगढ़ में एसपी जिलाध्यक्ष हवलदार यादव की बहू जिला पंचायत अध्यक्ष बनी हैं। गाजीपुर में मंत्री कैलाश यादव अपने बेटे वीरेंद्र यादव को अध्यक्ष बनाने में सफल रहे हैं। हालांकि मुरादाबाद, बांदा, प्रतापगढ़, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, चंदौली, वाराणसी में नाम वापसी भी मैदान साफ नहीं कर पाई। इन जिलों समेत 36 जिलों में चुनाव से ही अध्यक्ष तय होगा।