राज्यसभा चुनाव में मतदाताओं को एकजुट रखने की राजनीतिक दलों की कवायद तेज, हो रही बैठकें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 03:36 PM

उत्तर प्रदेश में 23 मार्च को राज्य सभा की 10 सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी समाजवादी पार्टी तथा बसपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके हैं। दोनों ही पक्ष जीत का गणित बैठाने की कवायद में लगे हैं। राज्यसभा की...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 23 मार्च को राज्य सभा की 10 सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी समाजवादी पार्टी तथा बसपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके हैं। दोनों ही पक्ष जीत का गणित बैठाने की कवायद में लगे हैं। राज्यसभा की 10 सीटों में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिसमें से 9 भाजपा और सपा तथा बसपा का एक-एक उम्मीदवार है। भाजपा के 9वें उम्मीदवार की बसपा के प्रत्याशी से जबरदस्त टक्कर है क्योंकि बसपा प्रत्याशी को सपा और कांग्रेस दोनों ही दलों का समर्थन हासिल है। 

बसपा के समर्थन से मिली जीत- सपा 
पिछले दिनों लोकसभा के उपचुनाव में गोरखपुर और फू लपुर मे बसपा के समर्थन से जीत सपा ने जीत हासिल की थी।  जिस वजह से सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर राज्य सभा में बसपा उम्मीदवार को विजयी बनाने के लिए जबरदस्त दबाव है। हाल ही में पार्टी नेताओं के साथ हुई बैठक में अखिलेश यादव ने साफ शब्दों में कहा कि लोकसभा 2 सीटों के लिए उपचुनाव में बसपा से हमारा साथ देकर हमें जीत दिलाई थी और अब हमारी बारी है।


सपा ने डिनर का किया आयोजन 
इस चुनाव का महत्व इस बात से भी साफ होता है कि सपा ने विधायकों के साथ आज सुबह 10 बजे पार्टी मुख्यालय पर एक महत्वपूर्ण बैठक की। रात में एक होटल में सभी के लिए रात्रि भोज का भी आयोजन किया गया है। एक विधायक ने बताया कि रात्रि भोज के दौरान उन्हें पार्टी की रणनीति के बारे में बताया जाएगा और उन्हें किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करना है साथ ही दूसरी और अन्य प्राथमिकता में किसे रखना है, इसकी भी जानकारी दी जाएगी। 

चुनाव में हर विधायक का वोट जरूरी
चुनाव में हर विधायक का वोट इतना महत्वपूर्ण है कि सपा ने जेल में बंद सिरसागंज के विधायक हरिओम यादव और मऊ से निर्दलीय विधायक मुख्तार अंसारी को  मतदान में हिस्सा लेने की बात कही है।  सपा और बसपा के नेताओं ने सोमवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी वेंकटेश से भी इस बारे में गुहार लगाई। बसपा सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा पार्टी के सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश मिश्रा इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ से दिशानिर्देश लेने की कोशिश में हैं।

भाजपा ने भी की बैठक 
दूसरी ओर, सत्तारूढ भाजपा के लिए भी राज्यसभा का चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शाम अपने आधिकारिक निवास पर पार्टी विधायकों की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी 9वें उम्मीदवार की जीत के लिए रणनीति तैयार की जाने की संभावना है। भाजपा अपने बल पर 8 सीटोंं में तो आसानी से जीत हासिल कर लेती और एक सीट सपा की झोली में चली जाती लेकिन भाजपा ने 9 उम्मीदवार मैदान में उतारकर संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी है। चुनाव में जीत के लिए एक उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता वाले 37 वोट हासिल होने पर ही जीत हासिल होगी।  बैठक के दौरान भाजपा विधायकों को उन उम्मीदवारों बारे में बताये जाने की संभावना है जिनके पक्ष में विधायकों को मतदान करना है और मतदान के दिन किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति से बचने के लिए मतदान का एक पूर्वाभ्यास भी किया जाएगा।  लोकसभा उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर में सत्तारूढ़ दल की हुई फजीहत के बाद भाजपा अपने विधायकों को अपने साथ बांधे रखने मे कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती है।  

ओम प्रकाश का मामला भी सुलझा 
योगी सरकार से नाराज कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय माज पार्टी (एसबीएसपी) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने कल राजधानी दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राजभर ने कहा कि भाजपा के साथ सभी मतभेद समाप्त हो गऐ हैं। एसबीएसपी के विधानसभा ४ सदस्य हैं और यह सदस्य भाजपा के ९वें उम्मीदवार की जीत में निर्णायक भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं। 

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