Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jan, 2018 04:27 PM
लोकसभा की गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से उपचुनाव नहीं कराने की मांग को लेकर आज यहां विपक्षी दलों की बैठक में एकराय दिखी। ...
लखनऊ: लोकसभा की गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से उपचुनाव नहीं कराने की मांग को लेकर आज यहां विपक्षी दलों की बैठक में एकराय दिखी।
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में बुलायी गयी बैठक में विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवाल खड़े किये। अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस, पीस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, अपना दल (कृष्णा पटेल गुट) समेत कुछ अन्य दलों को बैठक में आमंत्रित किया था।
राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह के अनुसार बैठक में बसपा का कोई प्रतिनिधि नहीं था, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर का सहमति पत्र आया था।अशोक सिंह के अनुसार राजबब्बर ने बैठक को प्रासंगिक बताते हुए ईवीएम के मसले पर बैठक में शामिल दलों की राय से सहमति जतायी थी। उनका कहना था कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष लखनऊ से बाहर होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो सके।
अशोक सिंह ने बताया कि इसी मुद्दे पर अगले सप्ताह फिर बैठक बुलायी गयी है। जिसमें अगली रणनीति तय की जायेगी। उनका कहना था कि अगली बैठक में चुनाव आयोग से मिलने या इस मुद्दे पर संघर्ष की रणनीति भी बन सकती है। इस बीच, राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि विपक्षी दलों की एक राय सिर्फ ईवीएम मुद्दे तक ही सीमित कर नहीं देखना चाहिये।
इस मुद्दे पर विपक्षी दल यदि एक होकर संघर्ष की भूमिका में आते हैं तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े बदलाव की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि ईवीएम पर एक मंच पर आने वाला विपक्ष अन्य मुद्दों पर भी एक साथ आ सकता है, हालांकि सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्षी एकता का तब तक कोई मायने नहीं है जब तक इसमें बसपा भी शामिल न हो।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से क्रमश: गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा सीट रिक्त हुई है।