Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Feb, 2018 08:11 AM
माया की किचन कैबिनेट में शामिल और 18-18 विभागों के दमदार मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया तो पश्चिम उत्तर प्रदेश के साथ-साथ आगरा की राजनीति में उथल-पुथल मच सकती है। आगरा के कई बसपा नेता और मुस्लिम चेहरे कांग्रेसियों के...
आगरा: माया की किचन कैबिनेट में शामिल और 18-18 विभागों के दमदार मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया तो पश्चिम उत्तर प्रदेश के साथ-साथ आगरा की राजनीति में उथल-पुथल मच सकती है। आगरा के कई बसपा नेता और मुस्लिम चेहरे कांग्रेसियों के संपर्क में हैं। जल्द ही बसपा को वे झटका देकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे। दलितों की राजधानी में लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा दोनों को नसीमुद्दीन सिद्दीकी के नाम कांटा चुभेगा, ऐसा माना जा रहा है। दलितों की राजधानी में बसपा का बड़ा वोट बैंक है।
बांदा से लड़ेगा अफजाल सिद्दीकी
नसीमुद्दीन के कांग्रेस में जाने का रास्ता ऐसे ही नहीं साफ हुआ है। जानकार बताते हैं कि यूपी में आखिरी सांस गिन रही कांग्रेस ने सिद्दीकी को मुनाफे का सौदा माना है क्योंकि सिद्दीकी जहां कांग्रेस का संगठन मजबूत करेंगे तो वहीं 2019 में वह कांग्रेस के लिए पार्टी फंड भी उपलब्ध करा सकते हैं लेकिन कांग्रेस इसके बदले में सिद्दीकी के लड़के को लोकसभा चुनाव बांदा से लड़ाएगी। इस संबंध में सिद्दीकी की राहुल गांधी से मुलाकात हो चुकी है।
पश्चिम में बिगड़ेंगे समीकरण
नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में आने से हाशिए पर पड़ी कांग्रेस भले ही यूपी में कोई मैजिक नहीं चला पाए लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासत में 2 दशक से ज्यादा समय का अनुभव रखने वाले और कांशीराम के चेले कहे जाने वाले सिद्दीकी बसपा के हाथी की पश्चिम में कमर तोड़ सकते हैं क्योंकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में माया का दलित और मुस्लिम का गठजोड़ कई बार दमदार साबित हुआ है।
सिद्दीकी की नजर कांग्रेस में जाने के बाद इस गठजोड़ पर पड़ेगी और यदि कांग्रेस और सपा का गठबंधन लोकसभा चुुनाव 2019 में हुआ तो अवश्य ही बसपा का हाथी डिप्रैशन में चला जाएगा, क्योंकि हाथी की सवारी छोड़कर पश्चिम का मुसलमान साइकिल और हाथ वाले इस साथ के साथ जा सकता है, जिसमें सिद्दीकी नीति निर्धारक तत्वों में शामिल हो सकते हैं और अपने आप को फिर करो या डूब मरो की स्टाइल में स्थापित कर सकते हैं। गौरतलब है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में सिद्दीकी के वहां के मुसलमानों से कारोबारी रिश्ते है और वहां उनका व्यक्तिगत प्रभाव भी है।