Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 01:24 PM
समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह बेटे अखिलेश यादव का आधिपत्य हो जाने के बाद पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने जिस तरह छोटे भाई के संदर्भ में चुप्पी साध ली है, उसने शिवपाल की भविष्य की सियासत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी पर पूरी तरह बेटे अखिलेश यादव का आधिपत्य हो जाने के बाद पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने जिस तरह छोटे भाई के संदर्भ में चुप्पी साध ली है, उसने शिवपाल की भविष्य की सियासत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि शिवपाल ने अभी मौन को ही अपना हथियार बना रखा है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि अब उनके सामने 2 ही रास्ते बचे हैं। या तो वह पार्टी में अखिलेश की सत्ता के शरणागत हों या फिर बगावत की राह पकड़ें। इनमें कौन सी राह वह पकड़ेंगे, आने वाले दिनों में नजर आएगा।
पार्टी को लेकर परिवार में हुई कलह में शिवपाल हमेशा बड़े भाई मुलायम के साथ लक्ष्मण की तरह नजर आए हैं। पिछले साल सितम्बर महीने में शुरू हुए इस विवाद में मुलायम की उंगली पकड़कर ही उन्होंने भतीजे अखिलेश के सभी हमलों का सामना किया। यहां तक कि अक्तूबर 2016 में जब अखिलेश ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया तो भी उन्होंने कोई आक्रामक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की।
पूरे विवाद को वह हमेशा मुलायम के सम्मान की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत करते रहे और एकाध अवसर को छोड़ दिया जाए तो अखिलेश पर सीधा हमला बोलने से भी परहेज करते रहे। उनकी सारी उम्मीदें मुलायम पर टिकी थीं और उनके सहारे ही उन्होंने अलग मोर्चा के गठन की तैयारी भी कर ली थी।