Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 12:46 PM
सपा-बसपा के एक साथ आने पर सियासत में हलचल तेज हो गई है। इसी बीच कयास लगाए जा रहे थे कि मायावती अपने भाई और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार को राज्यसभा भेज सकती हैं, लेकिन इस पर आनंद ने कहा कि कुछ लोग टीआरपी के चक्कर में ऐसी झूठी अफवाह फैला रहे हैं।...
लखनऊः सपा-बसपा के एक साथ आने पर सियासत में हलचल तेज हो गई है। इसी बीच कयास लगाए जा रहे थे कि मायावती अपने भाई और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार को राज्यसभा भेज सकती हैं, लेकिन इस पर आनंद ने कहा कि कुछ लोग टीआरपी के चक्कर में ऐसी झूठी अफवाह फैला रहे हैं। मैं टिकट के दावेदारों में नहीं हूं।
जानकारी के मुताबिक देश में राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होना है। इसमें सबसे ज्यादा 10 सीटों के लिए उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं। जिसमें से बीजेपी के 8 उम्मीदवारों की जीत तय है। एक सीट सपा के खाते में जाएगी और आखिरी सीट के लिए बसपा ने सपा से समर्थन मांगा है। बदले में मायावती ने 2 सीटों पर होने वाले लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशियों को समर्थन का ऐलान किया है।
यही नहीं मायावती ने कहा कि अगर कांग्रेस मध्यप्रदेश में राज्य सभा चुनाव में समर्थन चाहती है तो उसे यूपी में बसपा को सपोर्ट करना पड़ेगा। बताते चले कि 8 उम्मीदवारों को राज्य सभा भेजने के लिए बीजेपी के पास 21 विधायक बचते हैं। जबकि एक प्रत्याशी की जीत के बाद सपा के पास 9 विधायक बचेंगे। बसपा के 19 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं। 10वीं सीट के लिए 37 विधायकों की जरुरत है। ऐसे में अगर सपा के बचे विधायक और कांग्रेस के विधायक बसपा प्रत्याशी को सपोर्ट करते हैं तो उनकी संख्या 35 पहुंच जाएगी। 2 निर्दलीय और एक रालोद विधायक के सपोर्ट से बसपा अपने एक प्रत्याशी को राज्य सभा भेज सकती है।
गौरतलब है कि पिछले साल मायावती ने राज्यसभा सभापति पर सहारनपुर दलित हिंसा का मुद्दा सदन में न उठाने देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। 23 मार्च को हो रहे राज्य सभा चुनाव में मायावती की खाली सीट पर भी चुनाव होना है।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मायावती खुद राज्य सभा जाती हैं या फिर पार्टी के किसी अन्य सदस्य को भेजती हैं।