मथुरा हिंसा मामला: हाईकोर्ट ने बढ़ाई अखिलेश सरकार की मुश्किलें

Edited By ,Updated: 02 Aug, 2016 02:10 PM

mathura violence case high court raised the hackles of the akhilesh government

मथुरा के जवाहरबाग पार्क में दो महीने पहले हुई हिंसा के मामले में यूपी की अखिलेश यादव सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।

इलाहाबाद(सैयद आकिब रजा): मथुरा के जवाहरबाग पार्क में दो महीने पहले हुई हिंसा के मामले में यूपी की अखिलेश यादव सरकार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल आधा दर्जन जनहित याचिकाओं पर अखिलेश सरकार आज भी अपना जवाब दाखिल नहीं कर सकी। चीफ जस्टिस दयानंद भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार के इस रवैये पर गहरी नाराजगी जताई और मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख तय कर दी है। अदालत ने इस मामले में बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर यूपी सरकार अपना जवाब और सारे रिकार्ड दो हफ्ते में भी नहीं पेश कर पाती है तो कोर्ट 16 अगस्त की अंतिम सुनवाई में कोई भी फैसला ले सकती है। 

 
दरअसल हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में यूपी सरकार से रामवृक्ष यादव द्वारा दी गई वह अर्जी मांगी थी, जिसके आधार पर उसे दो दिनों के धरने की परमीशन दी गई थी। अदालत ने रामवृक्ष को जारी किया गया परमीशन लेटर भी मांगा था। इसके अलावा मथुरा में तैनात रहते अफसरों की वह चि_ियां भी मांगी थीं, जो वहां के अफसरों ने यूपी सरकार को कार्रवाई के बारे में भेजी थीं। इतना ही नहीं अदालत ने यूपी सरकार से रामवृक्ष यादव के खिलाफ की गई सारी शिकायतों और उन पर प्रशासन या पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का पूरा ब्यौरा भी मांगा था। अदालत ने रामवृक्ष यादव के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट भी यूपी सरकार को पेश करने को कहा था। आज की सुनवाई के दौरान मथुरा के तमाम अफसर कोर्ट में मौजूद तो थे, लेकिन किसी के पास कोर्ट के इन सवालों का न कोई जवाब था और न ही कोई डाक्यूमेंट। 
 
याचिकाकर्ता बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने आज कोर्ट में कहा कि ऐसा लगता है कि रामवृक्ष यादव ने न तो धरने के लिए कोई परमीशन ली थी और न ही उसे कोई परमीशन दी गई थी, इसीलिए दो बार वक्त दिए जाने के बावजूद कोई रिकार्ड पेश नहीं कर पा रही है। याचिकाकर्ताओं ने आज फिर दोहराया कि जवाहरबाग की घटना के लिए यूपी के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव और समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव का हाथ है, इसीलिए  यूपी सरकार मामले की सीबीआई जांच से बच रही है। अदालत ने आज यूपी सरकार को दो हफ्ते की मोहलत जरूर दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह आखिरी मोहलत है और 16 अगस्त को इस मामले में अंतिम सुनवाई की जाएगी। 

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