UP ELECTION 2017: यादव लैंड की बदल रही है फिजा

Edited By ,Updated: 17 Feb, 2017 01:14 PM

land is changing yadav fiza

मैनपुरी, इटावा और औरेया  को यादव लैंड ही नहीं बल्कि समाजवादी परिवार का अभेद्य किला कहा जाता है, इसमें सेंध लगाना विपक्षियों के लिए हमेशा ही टेड़ी खीर साबित हुआ है लेकिन....

लखनऊ:मैनपुरी, इटावा और औरेया  को यादव लैंड ही नहीं बल्कि समाजवादी परिवार का अभेद्य किला कहा जाता है, इसमें सेंध लगाना विपक्षियों के लिए हमेशा ही टेड़ी खीर साबित हुआ है लेकिन कुनबे की कलह के बाद इस बार इस क्षेत्र की फिजां कुछ बदली हुई नजर आ रही है। समाजवादी समर्थक भी यह कहने में संकोच नहीं कर रहे हैं कि जब परिवार का बंधन खुल जाता है तो दुश्मन सब कुछ बिखरा देता है। इस बार के चुनाव में इसकी पूरी संभावना है। यही नहीं हालात से खफा लोग यहां राजनीति पर बात करने तक को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि इस बार यादवों के किले में भाजपा और बसपा जबरदस्त सेंध लगा रही है। मुलायम के गढ़ मैनपुरी की बात करें तो यहां पिछली बार चारों सीटें सपा ने जीती थीं और भाजपा तीसरे व चौथे स्थान पर रही थी लेकिन इस बार  करहल सीट को छोड़कर शेष तीनों सीटों सपा के बगावती ही पार्टी को पीछे धकेलने में जुटे हुए हैं। इसी तरह औरैया, इटावा और एटा में भी सपा प्रत्याशियों को मुलायम और शिवपाल समर्थकों का विरोध झेलना पड़ रहा है।

विपक्षी उठा रहे स्थानीय मुद्दे
यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का क्षेत्र है जाहिर है यहां काम तो बोल ही रहा है, लेकिन विपक्षियों ने जनता की नब्ज थामने के लिए इस बार स्थानीय मुद़दों को हवा देना शुरू कर दिया है। इसमें सबसे ऊपर सपा सरकार में होने वाली गुंडागर्दी है, जिसमें  दो माह पहले मैनपुरी में बाइक सवार युवती के साथ हुई छेड़छाड़ व मारपीट का मुद़दा भी उछाला जा रहा है। इसके अलावा रेल लाइन, मैनपुरी व बेवर में रोडवेज डिपो पर बसों की कमी, डग्गामार वाहनों का आतंक के अलावा आलू और लहुसून की दुर्दशा के नाम पर मतदाताओं को मरहम लगाने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ इसी तरह के मुद्दे कन्नौज, इटावा, औरैया और एटा जिले में भी उठ रहे हैं।

कैंसर अस्पताल भी  है बंद
मैनपुरी तंबाकू उत्पादन का केंद्र है। यहां के लोगों को इसकी लत भी लग गई है। डब्ल्यू.एच.ओ. के आंकड़े बताते हैें कि इस जिले में मुंह के कैंसर के रोगी सबसे ज्यादा हैं। मुलायम सिंह की सरकार में यहां कैंसर का एक केंद्र स्थापित गया था लेकिन कैंसर के डाक्टर नहीं होने की वजह से यह केंद्र बंद रहता है। मगर यह समस्या यहां के चुनावी फिजा का हिस्सा है।

बगावत से बिखर गए समाजवादी
यूपी की यादव बैल्ट के आधे दर्जन जिलों में अखिलेश यादव के उम्मीदवारों के खिलाफ मुलायम और शिवपाल के लोग बगावत में उतर आए हैं।  कहीं खुले तौर पर चुनावी मैदान में हैं, तो कहीं परदे के पीछे से, इस वजह से अपने गढ़ में फतह अखिलेश के लिए एक बड़ी चुनौती है।  इटावा में अखिलेश-रामगोपाल गुट के समाजवादी पार्टी उम्मीदवार कुलदीप गुप्ता संटू हैं, इस सीट पर मुलायम के करीबी निवर्तमान विधायक रघुराज शाक्य का टिकट काटकर अखिलेश ने कुलदीप को उम्मीदवार बना दिया। मुलायम ने यहां संटू के मुकाबले खड़े लोकदल के प्रत्याशी आशीष राजपूत को मंच पर सार्वजनिक रूप से आशीर्वाद दिया। आशीष राजपूत ने कहा मैं नेताजी, उऩकी नीतियों पर चुनाव लड़ रहा हूं, जो उन्होंने सिखाया है हम लोगों को कि विरोध कीजिए, गलत काम के लिए लड़ जाइए। अखिलेश के उम्मीदवारों के खिलाफ मुलायम-शिवपाल के लोगों की यह बगावत आधा दर्जन जिलों में साफ नजर आती है। मैनपुरी में किशनी, भोगांव और सदर सीट पर अखिलेश ने मुलायम समर्थकों के टिकट काटे, जिसके बाद मुलायम समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। एटा में सदर, अलीगंज सीट और फिरोजाबाद में शिकोहाबाद तथा जसराना सीट, इटावा सदर और भरथना, औरैया में विधुना, दिबियापुर और औरेया सदर सीट पर भी ऐसे ही हालात हैं। कासगंज, पटियाली और अमरपुर सीट पर भी मुलायम समर्थकों के टिकट काटे जाने से अलग समीकरण बन गए हैं। 

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