Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Mar, 2018 07:57 AM
लोकसभा के 2014 में हुए चुनाव व उत्तर प्रदेश में मिली शर्मनाक हार से चारों खाने चित्त विपक्ष को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर ऐतिहासिक जीत से मिली संजीवनी ने मूर्छित अवस्था से बाहर ला दिया है। अब विपक्ष भाजपा के मिशन 2019 को....
मुजफ्फरनगर: लोकसभा के 2014 में हुए चुनाव व उत्तर प्रदेश में मिली शर्मनाक हार से चारों खाने चित्त विपक्ष को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर ऐतिहासिक जीत से मिली संजीवनी ने मूर्छित अवस्था से बाहर ला दिया है। अब विपक्ष भाजपा के मिशन 2019 को फेल करने की जोड़ तोड़ में जुट चुका है।
गोरखपुर और फूलपुर में सपा-बसपा के साथ ने भाजपा का किला ढहाने का जो जौहर दिखाया अब उसी जौहर का नमूना कैराना संसदीय सीट के उपचुनाव में पेश करने के लिए रालोद और कांग्रेस भी सपा-बसपा के इस महागठबंधन का हिस्सा बनने के प्रयास में जुट गए हैं। रालोद कैराना के रास्ते जयंत चौधरी को देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में भेजने के लिए इस सीट के उपचुनाव की सियासी बिसात पर अपने मोहरे और प्यादे सजाने में जुट गया है।
यह भी सनसनाहट महसूस की जा रही है कि कैराना से रालोद के मुखिया छोटे चौधरी भी आस्तीन चढ़ाकर सियासी जंग के अखाड़े में कूद सकते हैं। संगठन की पहली पसंद जयंत हैं, लेकिन दोनों चौधरियों में कोई भी लड़े संगठन संसद में सीट की तैयारी कर रहा है।
योगी सरकार भी नहीं छोडऩा चाहती कोई कमी
उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को ताश के पत्तों की तरह फेंटने का काम जिस प्रकार पिछले 2 दिनों में किया है। उससे यह माना जा रहा है कि योगी सरकार किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं छोडऩा चाहती। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हुकुम सिंह का 3 फरवरी 2018 को निधन हो जाने के कारण यह सीट खाली है। अब इस सीट पर उपचुनाव होना है।