Edited By ,Updated: 26 Apr, 2016 03:44 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जानना चाहा कि राज्य में तेजाब हमले के पीड़ितों को मुआवजा और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में राज्य सरकार की क्या नीति है।
इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि तेजाब हमलों से पीड़ित महिलाओं को तुरंत मुआवजा और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में राज्य सरकार के पास क्या नीति है। मुख्य न्यायधीश डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की एक खंडपीठ ने ‘मुहिम’ नाम के एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।
एनजीओ ने अपनी याचिका में कहा है कि पिछले एक साल में मेरठ जिले में कई महिलाएं तेजाब से हमले की शिकार हुई हैं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज्य सरकार तेजाब पीड़ितों की आर्थिक मुआवजा और चिकित्सा सहायता के रूप में मदद उपलब्ध कराने में विफल रही है और चूंकि इस तरह की घटनाओं में गंभीर रूप से घायल कई महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है, इसलिए मुआवजा और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है। राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 02 मई तय की।