Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jun, 2017 04:46 PM
अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशन में रह रही बरेली की एक बालिग लड़की को लड़के से अलग कर उसे निरुद्ध करना बरेली के पुलिस प्रशासन को मंहगा पड़ सकता है...
इलाहाबाद/बरेलीः अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशन में रह रही बरेली की एक बालिग लड़की को लड़के से अलग कर उसे निरुद्ध करना बरेली के पुलिस प्रशासन को मंहगा पड़ सकता है। इसके साथ लिव इन रिलेशन में रह रहे इन बालिग जोड़ों ने पुलिसिया कार्यवाही के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली है और कहा है कि वे बालिग है उन्हें अपनी इच्छा से जीवन जीने का हक है। इन बालिग जोड़ों का कहना है कि वे साथ-साथ रह रहे हैं। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।
प्रेमी जोड़े ने दायर की याचिका
जस्टिस अरूण टंडन व जस्टिस अशोक कुमार की पीठ ने बरेली के इन दोनो बालिग जोड़ों की याचिका पर मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसएसपी बरेली से इस पूरे घटनाक्रम पर हलफनामा मांगा है। लड़की को लड़के से अलग कर महिला अस्पताल में निरूद्ध करने वाले दरोगा को कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई की तिथि 28 जून को तलब किया है।
क्यों ना इस गलती पर हो भारी हर्जानाः कोर्ट
यही नहीं कोर्ट ने कहा है कि पुलिस की इस गलती के लिए क्यों न विभाग पर भारी हर्जाना लगाया जाए। दोनो बालिग जोड़े कई महीने से लिव इन रिलेशन में रह रहे थे। लड़की के परिवार वालों ने मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने लड़की को उठा लिया और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। लड़की की आयु को लेकर विवाद के चलते उसे बाल कल्याण संस्थान के सामने पेश किया गया, परन्तु वहां से फिर उसे एडीजे के सामने पेश किया गया।
पुलिस बालिग लड़की बंधक बना कर नहीं रख सकती
आदेश मिलने पर लड़की को नारी निकेतन ले जाया गया, परन्तु वहां भी एडमिट न करने पर उसे महिला अस्पताल में पुलिस ने रख निरूद्ध किया। हाईकोर्ट के संज्ञान में मामला आने पर कोर्ट ने पुलिस से पूछा है कि वह बताए बालिग लड़की को पुलिस किस कानून में बंधक बना कर रख सकती है। दरोगा जे.पी.रावत को कोर्ट ने केस की सुनवाई के दिन हाजिर रहने का आदेश दिया है।
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